उत्तराखंड के सीमांत इलाके में स्थित ग्राफिक एरा अस्पताल ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है जिसने वृद्ध पेशेंट के लिए आशा की किरण जगाई है।
यहां का 68 वर्षीय बुजुर्ग नागरिक जिसे हार्ट फेलियर के कारण गंभीर लेफ्ट वेंट्रिकुलर डिस्फंक्शन और एओर्टिक स्टेनोसिस की समस्या थी, को वाल्व सर्जरी की जरूरत थी। लेकिन उनके आयु के कारण ओपन हार्ट सर्जरी का विकल्प मुश्किल था।
डॉक्टरों ने इस चुनौती का सामना करते हुए एक नई तकनीक का इस्तेमाल किया और बिना चीरा लगाए हार्ट का वाल्व बदल दिया। इस प्रक्रिया के दौरान, मरीज को न तो बेहोश किया गया और न ही कोई सर्जरी की गई। डॉक्टरों की देखभाल में वाल्व का परिवर्तन किया गया और पेशेंट बिना किसी समस्या के सफलतापूर्वक आया।ग्राफिक एरा अस्पताल के विशेषज्ञों ने बिना चीरा लगाए हृदय का रोग ग्रसित वाल्व हटाकर मानव निर्मित वाल्व लगा दिया। इस दौरान रोगी को न तो बेहोश किया गया न कोई सर्जरी की गई।
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डाक्टर हार्ट का वाल्व बदलते रहे, पेशेंट देखता रहा।ग्राफिक एरा अस्पताल के विशेषज्ञों की टीम ने यह वाल्व बदला। डॉक्टर राज प्रताप सिंह, डॉक्टर हिमांशु राणा, डॉक्टर अखिलेश पांडे और डॉक्टर एसपी गौतम की यह संयुक्त प्रयास सराहनीय है।
डॉक्टर कमल घनशाला, ग्राफिक एरा ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन, ने इस सफलता पर टीम को बधाई देते हुए कहा कि हर रोगी की जीवन रक्षा हमारी प्राथमिकता है। ग्राफिक एरा अस्पताल ने बेहतरीन अनुभवी विशेषज्ञों और नवीनतम तकनीक के साथ जीवन की डोर को विश्वास से जोड़ रखा है।
यह वाल्व सर्जरी उत्तराखंड में सबसे बड़ी 30.5 एमएम की है। इससे न केवल रोगी को बल्कि उनके परिवार को भी एक नई जीवन की उम्मीद मिली है