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खबर देहरादून से जहाँ सब रजिस्ट्रार कार्यालयों में रजिस्ट्रियों में गड़बड़ी और जालसाजी की जांच के लिए सेवानिवृत्त आईएएस सुरेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय SIT का गठन कर दिया गया है। SIT में पुलिस की ओर से डीआईजी लॉ एंड ऑर्डर पी रेणुका देवी और निबंधन की ओर से एआईजी स्टांप अतुल कुमार शर्मा को बतौर सदस्य शामिल किया गया है।


बता दें की इस संबंध में वित्त विभाग ने मंगलवार को आदेश जारी किए हैं। इस SIT में विशेष सदस्य शामिल किए जा सकते हैं। गौरतलब है कि पिछले दिनों जिलाधिकारी देहरादून को रजिस्ट्री कार्यालय में गड़बड़ी की सूचना मिली थी। इसी क्रम में जनसुनवाई कार्यक्रम में पहुंची पूर्व आईएएस प्रेमलाल से संबंधित भूमि की शिकायत से मामला सामने आया। रानीपोखरी क्षेत्र में इस 60 बीघा जमीन को फर्जीवाड़ा कर दूसरे लोगों के नाम किया गया था। इसमें पीलीभीत के दो लोगों के नाम सामने आए थे।


इतना ही नहीं जिलाधिकारी ने तीन और मामलों की जांच कराई तो उनमें भी इसी तरह की गड़बड़ी सामने आई। पता चला कि भू-माफिया और अधिकारियों-कर्मचारियों की मिलीभगत से रजिस्ट्रार कार्यालय में रखी जिल्दों में से पुरानी रजिस्ट्री के कागज फाड़कर उनके स्थान पर फर्जी लगाए गए हैं। इस तरह भूमि को बेचने, दान करने वाले लोगों का ब्योरा बदला गया। पता चला कि यह सब 1978 से 1990 के बीच हुई रजिस्ट्रियों में किया गया है।


दरअसल,पिछले दिनों जिलाधिकारी के आदेश पर शहर कोतवाली में एक मुकदमा अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज किया गया। इसी बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रजिस्ट्री कार्यालय का निरीक्षण किया और इस मामले की जांच, मुकदमे की विवेचना की निगरानी के लिए एक SIT गठित करने के आदेश दिए थे। इस क्रम में वित्त सचिव दिलीप जावलकर ने एसआईटी के गठन के आदेश जारी किए हैं।


गौरतलब है की पूर्व आईएएस सुरेंद्र सिंह रावत इससे पहले भी कई महत्वपूर्ण जांचों में शामिल रहे हैं। वहीं, डीआईजी पी रेणुका देवी इससे पहले अंकिता हत्याकांड जैसे कई मामलों में एसआईटी प्रभारी रहीं हैं। वह वर्तमान में पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू के खिलाफ मुकदमे की जांच के लिए बनी SIT की अध्यक्ष भी हैं।

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इन क्षेत्रों में काम करेगी SIT


रिकॉर्ड रूम और रजिस्ट्री कार्यालय के सभी दस्तावेज की समयबद्ध और गहन जांच करना।
फर्जीवाड़े में दोषी कर्मचारियों को चिह्नित कर उनका उत्तरदायित्व निर्धारित करना।
भविष्य में इस तरह की पुनरावृत्ति न हो इस संबंध में सुझाव भी शासन को देना।
वर्तमान में चल रही पुलिस विवेचना व भविष्य में आपराधिक जांच शुरू होने की स्थिति की निगरानी भी की जाएगी।
इस एसआईटी का कार्यकाल चार माह रहेगा, जिसे समय-समय पर बढ़ाया जा सकता है।

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