राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के उत्तराखंड दौरे के पहले दिन रात्रि प्रवास पर मेहमान नवाजी में कोई कमी नहीं रखी गई।जी हाँ,उन्हें राजभवन में पहाड़ी व्यंजन परोसे गए। जिनका उन्होंने खूब आनंद लिया। प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबिक राजभवन की शाही रसोई में राष्ट्रपति के लिए उत्तराखंड के शाकाहारी व्यंजन बनाए गए।
जिनमें मंडुए की कचोड़ी, पनीर मुल्तानी, हरा भरा कैंडी कबाब, शब्ज बादाम का शोरबा, तीन मिर्च का पनीर, मकई का साग, आलू के गुटके (पहाड़ी आलू से बनी डिश), दाल की पकोड़ी, गोभी मीठी मटर, पहाड़ी तुअर की दाल, लाल भात, तवा परांठा और फुलका, आलू-मूली की थिच्वाड़ी, गाजर का हलवा, झंगोरे की खीर आदि व्यंजन शामिल रहे।
इतना ही नहीं खाने के अंत में उत्तराखंड की मिठाई सिंगोरी परोसी गई। जिन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने खूब पसंद किया। सिंगोरी खोया से बना होता है, जिसे पान के पत्ते पर परोसा जाता है।
वहीं, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राज्यपाल और मुख्यमंत्री की तारीफ की। उन्होंने कहा कि राज्यपाल ले.ज. गुरमीत सिंह के सुव्यवस्थित मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री के ऊर्जावान नेतृत्व में उत्तराखंड विकास की ओर तेजी से बढ़ रहा है।
आपको बता दें की राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तराखंड आध्यात्मिक शांति और शारीरिक उपचार दोनों ही दृष्टियों से कल्याण का स्रोत है। उन्होंने उत्तराखंड से लक्ष्मण के लिए संजीवनी बूटी ले जाने की लोकमान्यता का जिक्र किया। कहा कि हिमालय और उत्तराखंड भारत-वासियों की अंतरात्मा में बसे हुए हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि स्वयं पर्वतराज हिमालय और उत्तराखंड के शूरवीर लोग भारत माता के प्रहरी भी रहे हैं। हमारे वर्तमान सीडीएस जनरल अनिल चौहान जी उत्तराखंड के ही सपूत हैं। प्रथम सीडीएस जनरल बिपिन रावत भी इसी धरती की विभूति थे।
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बता दें की 1990 के दशक में जनरल बिपिन ने चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ के रूप में भारत माता की सेवा की थी। उन्होंने मेजर राजेश सिंह अधिकारी, मेजर विवेक गुप्ता, 1962 के युद्ध में शहीद हुए जसवंत सिंह रावत को भी याद किया। उन्होंने कहा कि इस धरती के शूरवीरों को अशोक-चक्र और कीर्ति-चक्र से भी सम्मानित किया गया है। उन्होंने उत्तराखंड के वीर सपूतों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की।