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देहरादूनः मैक्स अस्पताल में पहली बार हार्ट अटैक और धमनियों में गंभीर घाव की बीमारी से ग्रसित 67 वर्षीय मरीज का रोटा एब्लेशन व कोरोनरी शॉकवेव लिथोट्रिप्सी तकनीक से सफल इलाज किया गया है. डॉक्टरों ने मरीज को इलाज और एक महीने अपने ऑब्जर्वेशन में रखने के बाद डिस्चार्ज कर दिया.

देहरादून मैक्स अस्पताल के विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि इन दोनों तकनीकों का पहली बार प्रयोग किया गया है. साथ ही अब तक इस तकनीक से इलाज करने के लिए मरीजों को बड़े शहरों में जाना पड़ता था, लेकिन अब देहरादून में भी यह इलाज संभव है. डॉक्टरों ने कहा कि यह अभी नई तकनीक है. जिसका प्रयोग बहुत कम स्थानों पर किया जा रहा है.

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मैक्स अस्पताल के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. प्रीति शर्मा और डॉ. पुनीश सदाना ने बताया कि उनके पास एक 67 वर्षीय मरीज हार्ट अटैक की शिकायत लेकर आया था. जिसकी धमनियों में गहरे घाव थे. जिनकी एंजियोप्लास्टी और स्टेंटिंग करने में यह खतरा था कि कैल्शियम को हटाना था, लेकिन अधिक कैल्शियम जमा होने के कारण खतरा अधिक बढ़ रहा था. अंत में डॉक्टरों की टीम ने बैठक कर इलाज के लिए नया रास्ता निकाला और पहली बार मैक्स अस्पताल में रोटा एब्लेशन व कोरोनरी शॉकवेव लिथोट्रिप्सी तकनीक का इस्तेमाल कर बुजुर्ग मरीज का सफल इलाज किया गया.

डॉ. प्रीति शर्मा ने बताया कि भारत मे लॉन्च यह नई तकनीक आईवीएल न केवल बड़े कैल्शियम बोझ के साथ कोरोनरी धमनियों में जटिल घावों को मैनेज करने मदद करती है. बल्कि, उन लोगों के लिए आशा की किरण लाती है. जो एडवांस कोरोनरी आर्टरी डिजीज से ग्रस्त हैं. एनजाइना या दिल का दौरा के साथ कैल्शियम जमा होने की वजह से ब्लॉकेज बेहद जटिल हो जाते हैं. इस तकनीक से गंभीर जटिलताओं के बिना चुनौतीपूर्ण घावों को मोडिफाई करना संभव है.

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