इस वक्त की बड़ी खबर बद्रीनाथ धाम से आ रही है जहां मास्टर प्लान के तहत हो रही तोड़फोड़ को लेकर लोगों में काफी आक्रोश नजर आया है। मास्टर प्लान से हो रहे प्रभावितों का कहना है कि मास्टर प्लान के नाम पर सरकार उनके मकानों,भवनों आदि की तोड़फोड़ तो कर रही है लेकिन उन्हें बदले में आश्वासन के अलावा और कुछ भी नहीं दे रही है।
जी हां बता दें कि अब अपनी मांगों को लेकर बद्रीनाथ पंडा पुरोहित क्रमिक अनशन पर बैठ गए हैं। और सरकार से अपनी मांगों को पूरा करने का अनुरोध कर रहे हैं। प्रभावितों का कहना है कि वर्तमान समय में मंदिर के विकास हेतु विस्थापन अनिवार्य है इसीलिए हम अपने मन को तैयार कर रहे हैं लेकिन सरकार व प्रशासन द्वारा हमारी मांगों पर ध्यान न देना एवं उनका निस्तारण ना करना बिल्कुल ही निंदनीय है।
प्रभावितों की मांगे कुछ इस प्रकार हैं –
श्री बद्रीनाथ धाम के मंदिर के चारों ओर पंडा पुरोहितों के जो मकान हैं जिन्हें प्रशासन द्वारा अधिग्रहित किया जा रहा है। उनके प्रभावितों को मंदिर के 75 मीटर के बाद मंदिर के नजदीक नारायण पुरी में ही बताया जाए।
मकान के बदले पूर्ण रूप से मकान और जमीन के बदले जमीन दी जाए और भूमि व मकान के दाखिले प्रभावितों के नाम किए जाएं।
सभी प्रभावितों के भूमि व मकानों का एक सर्किल रेट तय किया जाए जिसमें नेशनल हाईवे से दूरी को मानक ना मानकर बद्रीनाथ धाम मंदिर को ही मानक माना जाए।
यदि शासन को प्रभावितों की भवन भूमि की शीघ्र आवश्यकता है तो जो अस्थाई निवास प्रभावितों को मुहैया करवाए जा रहे हैं उनमें सुविधा अनुसार बाथरूम, कमरे आदि की भी व्यवस्था हो। एवं कार्रवाई लिखित रूप में होनी चाहिए।
पंडा पुरोहितों के लिए धार्मिक अनुष्ठान व कर्मकांड के लिए तप्त कुंड के पास ही स्थान आरक्षित किया जाए।
दरअसल,मास्टर प्लान के तहत हो रहे विस्थापन के बाद पंडा पुरोहितों एवं प्रभावितों के लिए रोज़ी रोटी की समस्या भी उत्पन्न हो गई है। ऐसे में अब प्रभावितों की एक आखिरी आस प्रशासन ही है।