Demo

रुद्रप्रयाग जिले के रैंतोली में ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर हुआ हादसा एक दर्दनाक घटना थी, जिसने कई जिंदगियों को हमेशा के लिए बदल कर रख दिया। इस हादसे में 15 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई घायल हो गए। घटना के बाद अस्पताल में भर्ती घायलों की आंखों में आंसू हैं और वे दर्द से कराह रहे हैं।

महिमा त्रिपाठी, जो प्रयागराज से बीटेक कर रही है और फिलहाल वहीं पर इंटर्नशिप कर रही है, इस हादसे की एक जीवित गवाह हैं। महिमा अपनी मां स्मृति त्रिपाठी के साथ तृतीय केदार तुंगनाथ जा रही थीं, जब उनका टेंपो-ट्रैवलर रैंतोली के पास खाई में गिर गया। इस हादसे में महिमा की मां की मौत हो गई, जबकि महिमा को सिर और हाथ के पंजे पर गहरी चोटें आईं, साथ ही पीठ, कंधे, और पैर पर गहरी खरोंचे भी आईं हैं।

महिमा के अनुसार, “वाहन के गिरने और पत्थरों से टकराने तक मुझे पूरा होश था। वाहन सड़क पर सामान्य रफ्तार से दौड़ रहा था, लेकिन अचानक जोर की आवाज के साथ वाहन सड़क से नीचे गिरकर पलटी खाने लगा। इस दौरान अपने आप ही मेरी आंखें बंद हो गईं और कुछ ही पल में मैं वाहन से छिटककर झाड़ियों में अटक गई।”

उसने बताया, “अगले ही पल मुझे फिर से जोर की आवाज सुनाई दी, इसके बाद पता नहीं क्या हुआ। जब लोगों की आवाज सुनाई देने लगी तो मैंने उठने का प्रयास किया। लेकिन मैं झाड़ियों में फंसी थी और वहां खड़े लोगों से बचाने की गुहार लगा रही थी। कुछ लोग आए उन्होंने मुझे झाड़ी से बाहर निकाला और सुरक्षित जगह पर लिटा दिया। इस दौरान कुछ देर मेरी आंख हल्की खुली तो कई लोग इधर-उधर पड़े थे। उसके बाद मैंने अपने को अस्पताल में ही पाया।”

महिमा ने बताया कि उसकी मां स्मृति त्रिपाठी ने एजेंसी के माध्यम से ऑनलाइन तृतीय केदार की यात्रा के लिए टेंपो-ट्रैवलर बुक किया था। शुक्रवार को वे दोनों प्रयागराज से गुरुग्राम पहुंचे थे। वाहन में अन्य लोग भी सवार थे, जो एक-दूसरे को नहीं जानते थे। वाहन सामान्य गति से आगे बढ़ रहा था और सब कुछ सामान्य लग रहा था। रात को सभी नींद के आगोश में थे और सुबह हरिद्वार, ऋषिकेश से होते हुए जैसे ही पहाड़ नजर आने लगे, वहां के मौसम और प्राकृतिक सौंदर्य को देखकर सबका मन अभिभूत हो रहा था।

महिमा ने बताया, “बीच में चाय-नाश्ता करने के लिए भी रुके थे। इसके बाद जैसे ही हम फिर से चलने लगे, अचानक यह हादसा हो गया। हादसे के बाद से मैं सदमे में हूं और बार-बार अपनी मां के बारे में पूछ रही हूं। हालांकि अभी मुझे नहीं बताया गया है कि मेरी मां अब इस दुनिया में नहीं रहीं।”

इस हादसे ने न केवल महिमा की जिंदगी को बदल कर रख दिया, बल्कि उन सभी लोगों की जिंदगी को भी जिन्होंने इस हादसे में अपने प्रियजनों को खो दिया। जिला चिकित्सालय रुद्रप्रयाग के कोटेश्वर में भर्ती सभी घायल इस हादसे के भयावह मंजर को याद कर सिहर उठते हैं। इस हादसे ने एक बार फिर से यात्रियों की सुरक्षा और सड़कों की स्थिति पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

Share.
Leave A Reply