भारतीय टीम के स्टार दिग्गज बल्लेबाज शिखर धवन यूँ तो अपने बेबाक अंदाज के लिए जाने जाते हैं। चाहे बात खेल मैदान की हो या उनकी निजी जिंदगी की वे खुल कर जीना पसंद करते हैं। लेकिन अब वह दोनों ही जगह मुश्किल हालातों से गुजर रहे हैं। जी हां एक तरफ से टीम इंडिया से बाहर चल रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ उनका अपनी पत्नी आयशा मुखर्जी के साथ तलाक हो रहा है।
बता दें कि अपनी निजी जिंदगी के विषय में बात करते हुए उन्होंने जिंदगी से संबंधित कई राज खोले और अपने तलाक पर चुप्पी तोड़ते हुए कहा की,वह दूसरों पर उंगली उठाना पसंद नहीं करते हैं और वह इस फील्ड में इसलिए फेल हुए क्योंकि उन्हें कुछ अनुभव नहीं था। एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में अपने तलाक को लेकर बात करते हुए धवन ने कहा ‘मैं फेल हुआ क्योंकि कोई भी इंसान जब निर्णय लेता है, तो आखिरी निर्णय उसी का होता है। मैं दूसरों पर उंगलियां उठाना पसंद नहीं करता। मैं फेल इसलिए हुआ क्योंकि मुझे उस फील्ड का अंदाजा नहीं था।क्रिकेट की जो बातें मैं आज कर रहा हूं, यही 20 साल पहले आप मुझसे पूछते तो इन सब बातों का पता नहीं रहता। ये सभी एक्सपीरियंस की बात है। पहले एक-दो साल इंसान के साथ बिताएं, देखें कि दोनों के संस्कार मैच करते हैं या नहीं।
धवन इतने में ही चुप नहीं हुए उन्होंने आगे कहा ‘वो भी एक मैच ही था। फिलहाल मेरा तलाक का केस चल रहा है, इसके खत्म होने के बाद जब मुझे शादी करनी होगी तो मैं उस वक्त इस फील्ड में ज्यादा समझदार होऊंगा कि मुझे किस तरह की पार्टनर चाहिए, जिसके साथ मैं जिंदगी निभा सकता हूं अगर मैं शादी करना चाहता हूं। जब मैं 26-27 साल का था और खेलता आ रहा था तो उस वक्त मेरे रिलेशनशिप नहीं थे, हालांकि मस्ती करते थे। जब मैं प्यार में पड़ा तो मैं रेड फ्लैग्स देख नहीं पाया, लेकिन अब अगर प्यार में पड़ूंगा तो उन रेड फ्लैग्स को देख सकता हूं। अगर रेड फ्लैग्स होगा तो मैं उससे बाहर आ जाऊंगा।
दरअसल,धवन आयशा मुखर्जी के साथ 2012 में शादी के बंधन में बंधे थे, आयशा की यह दूसरी शादी थी। इस शादी से धवन को एक बेटा भी है जो 2014 में हुआ था। धवन के बेटे का नाम जोरावर है। सितंबर 2021 में खबर आई कि इन दोनों ने तलाक लेने का फैसला किया है। फिलहाल इनका तलाक का केस चल रहा है, ऐसे में जोरावर अपनी मां के साथ मेलबर्न में रहता है। धवन अकसर उनसे मिलने वहां जाते हैं।
धवन ने कहा ‘शादी मेरे लिए एक बाउंसर थी और इसे मैं सर पर खा बैठा। ये चारों खाने चित गई। हारना भी जरूरी है, लेकिन हार को स्वीकार करना सीखें। मुझसे गलती हुई और इंसान गलतियों से ही सीखता है।’