यह बात है 5 जनवरी 2024 की, जब प्रवर्तन निदेशालय की टीम राशन घोटाला के मामले में जांच करने टीएमसी के नेता शाहजहां शेख के संदेशखाली वाले आवास पर छापेमारी करने पहुंची थी. वहां ED की टीम पर हमला किया गया और दंगा करके उन्हें वापस जाने के लिए मजबूर कर दिया. हमले में कुछ अधिकारियों को चोट भी आई और कई लोग घायल भी हुए|
ED की टीम पर पत्थरबाजी का आरोप कांग्रेस के नेता शाहजहां शेख के समर्थकों पर लगा है. उस दिन के बाद से शाहजहां शेख फारहार है और किसी को भी उनकी कोई ख़बर नही है. ईडी की ओर से समन भेजने के बावजूद वह पेश नहीं हुए.
घटना के एक महीने बाद 8 फरवरी से संदेशखाली की महिलाओं ने शाहजहां शेख और उनके समर्थकों के खिलाफ सड़क पर उतरकर प्रदर्शन किया. उस दिन से लगातार हर रोज प्रदर्शन हो रहे हैं.
9 फरवरी को ये विवाद तबसे बढ़ा जब प्रदर्शनकारी महिलाओं ने शाहजहां शेख के समर्थक हाजरा के स्वामित्व वाले तीन पोल्ट्री फार्म में आग लगा दी. महिलाओं ने यह आरोप लगाया कि ये फार्म ग्रामीणों से जबरदस्ती छीनी गई जमीन पर बनाए गए थे. महिलओ का गुस्सा शाहजहां शेख पर फुटता जा रहा है और यह मामला काफ़ि हद तक आगये बड़ता हुआ नज़र आया है.
प्रदर्शनकारी महिलाओं के आरोप
प्रदर्शनकारी महिलाओं ने शाहजहां शेख और उसके समर्थकों पर रेप का आरोप लगाया है. दावा है कि शाहजहां शेख के गुर्गे रात में आकर जबरदस्ती उठाकर ले जाते थे और सुबह उन्हें छोड़ दिया करते थे. उनसे रातभर काम कराया जाता था और उन्हें बहुत ही परेशां किया जाता था. उन सभी से कहा जाता था रात 12 बजे मीटिंग है जाना ही है. कोई भी पीड़ित महिला डर से कैमरे के सामने नहीं बोल पति थी. उन्होंने पुलिस से शिकायत की मगर कभी कोई मदद नहीं की. इसीलिए उन्हें अब सरकार पर भी भरोसा नहीं है. दूसरी प्रदर्शनकारी महिला ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के कुछ लोग गांव में घरों मे जा-जाकर सर्वे करते हैं और किसी घर में कोई सुंदर महिला या लड़की दिखती है तो उसे पार्टी अपने साथ ऑफिस ले जाया जाता है. फिर उस महिला को कई रातों तक वहीं रखा जाता है. महिलाओं ने शाहजहां शेख के करीबी माने जाने वाले टीएमसी के नेता उत्तम सरदार और शिबप्रसाद हाजरा के शामिल होने का आरोप है.हालांकि शाहजहां शेख के करीबी शिबू हाजरा ने अपनी सफाई देते हुए कहा है कि महिलाओं के यौन उत्पीड़न के उनपे लगे सभी आरोप झूठे हैं. उन्हें साजिश के तहत फंसाया जा रहा है.
जांच के घेरे में संदेशखाली
विवाद के बाद 12 फरवरी को बंगाल के राज्यपाल ने संदेशखाली का दौरा किया. यहां की महिलाओं से मिलने के बाद राज्यपाल ने मीडिया से कहा की, ‘मैंने संदेशखाली की माताओं और बहनों की बातें सुनी. मुझे विश्वास नहीं हुआ कि रबिन्द्र नाथ टैगोर की धरती पर ऐसा कुछ भी हो सकता है.’