गुजरात दंगे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री के साथ-साथ 64लोगों को( SIT )मुख्य जाँच दल द्वारा दी गई क्लीनचिट को चुनौती देने वाली याचिका को ख़ारिज कर दिया है।ANI द्वारा लिए गए इंटरव्यू में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है की “18-19साल से चल रही इस लड़ाई में देश का बड़ा नेता एक शब्द बोले बिना सारे दुखों को भगवान शिव की तरह विषपान को गले में उतारते हुए, सहन करता रहा और लड़ता रहा और आज जब सत्य सामने आ गया है तो सत्य सोने की तरह चमक रहा है और आनंद दे रहा है।
अमित शाह ने यह भी कहा है की उन्होंने प्रधानमंत्री जी को दर्द झेलते हुए नजदीक से देखा है क्योंकि न्यायिक प्रक्रिया चल रही थी जिसमें वो कुछ नहीं बोल सकते थे।उन्होंने बताया की सुप्रीम कोर्ट के द्वारा सभी आरोपों को ख़ारिज कर दिया गया है और प्रधानमंत्री समेत 64लोगों को क्लीनचीट दे दी गई है।सुप्रीम कोर्ट के फैसले से इस बात का स्पष्टीकरण होता है की साल 2002में हुआ गुजरात दंगा एक राजनीतिक साजिश थी।
अमित शाह ने यह भी कहा है की गुजरात में हमारी सरकार थी लेकिन NGO की मदद यूपीए सरकार ने की थी। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी बताया है की जाकिया जाफरी किसी के कहने पर काम करती थी और NGO द्वारा कहीं हालफनामों पर हस्ताक्षर भी करवाए गए हैं जिनकी पीड़ितों को खबर तक नहीं है।गुजरात दंगे के बाद सेना ना बुलाए जाने की बात जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया हमने सेना बुलाने में कोई देर नहीं की, गुजरात बंद का ऐलान होते ही बुला लिया गया था। अमित शाह के मुताबिक स्थिति को नियंत्रण में करने के लिए हर मुमकिन कदम उठाये जा रहे थे लेकिन स्थिति को नियंत्रण करने में समय लगता है।
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गिल साहब (पूर्व पंजाब डगप, दिवंगत केपीएस गिल )ने कहा था की इससे पहले कड़ी कार्यवाही उन्होंने शायद ही कभी देखी होगी लेकिन फिर भी उन पर आरोप लगाए गए हैं।अमित शाह ने सिख दंगो का जिक्र करते हुए कहा की देश की राजधानी में दंगे हुए, सेना का मुख्यालय भी दिल्ली में ही है इतने सारे सिख लोगों की जान चली गई लेकिन 3दिन तक कोई कार्यवाही नहीं हुई।हमारा मानना था की हम क़ानूनी प्रकिया में SIT का सहयोग करेंगे। मोदी जी से पूछताछ की गई तब कोई धरना-प्रदर्शन नहीं किया, हमने कानून का साथ दिया मुझे गिरफ्ताऱ किया गया तब कोई धरना -प्रदर्शन नहीं हुआ था।