Chandrayaan-3: देश और दुनिया की नजर मिशन मून चंद्रयान-3 पर टिकी हुई है। मिशन को लेकर जितना उत्साह और रोमांच है उतना ही चांद पर उतरना जटिल और मुश्किल। चांद पर लैंडिंग के लिए भेजे जाने वाले मिशनों की सफलता दर महज 35 फीसदी के आसपास है। लेकिन, मिशन को सफल बनाने में इसरो वैज्ञानिकों की टीम लगातार 24 घंटे 7 दिन मेहनत कर रही है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन 23 अगस्त को चंद्रयान की सफल लैंडिंग कराने में किसी भी प्रकार की समस्या पैदा होने पर अपनी योजना को बदल सकती है।
समस्या आने पर टल सकती है लैंडिंग प्रक्रिया
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन 23 अगस्त को चंद्रयान की सफल लैंडिंग कराने में किसी भी प्रकार की समस्या पैदा होने पर अपनी योजना को बदल सकती है। इसरो सैंटिस्ट नीलेश एम देसाई ने बताया कि, पूर्व निर्धारित तिथि और समय पर साफ्ट लैंडिंग प्रक्रिया में अड़चन आने पर इसे 27 अगस्त के लिए स्थगित किया जा सकता है।
चंद्रयान-3 मिशन के तहत ISRO चंद्रमा पर एक लैंडर, एक रोवर और एक ऑर्बिटर भेज रहा है. लैंडर चंद्रमा की सतह पर उतरेगा और वहां वैज्ञानिक उपकरणों को स्थापित करेगा. रोवर चंद्रमा की सतह पर चलेगा और वहां से चट्टानों और मिट्टी के नमूने एकत्र करेगा. ऑर्बिटर चंद्रमा की परिक्रमा करेगा और वहां से तस्वीरें और डेटा एकत्र करेगा.
चंद्रयान-3 मिशन भारत के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है. यह भारत का दूसरा चंद्र मिशन है और इस मिशन के सफल होने से भारत चंद्रमा पर लैंड करने वाला तीसरा देश बन जाएगा