यह तो आप सभी जानते हैं कि भाजपा की पूर्व नेता Nupur Sharma जिन्होंने एक TV debate में मोहम्मद पैगंबर पर कथित विवादित टिप्पणी की थी उनसे संबंधी एक Case की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जो बयान दिया उस पर विवाद गहराता जा रहा है। बता दें कि देश के सर्वोच्च न्यायालय के इस बयान को लेकर कई लोगों ने विरोध जताया। वहीं अब सुप्रीम कोर्ट के इस बयान पर आपत्ति जताते हुए मुख्य न्यायधीश को देश के पूर्व जज समेत 117 पूर्व अधिकारियों ने एक ओपेन लेटर लिखा है और जमकर खरी-खरी सुनाई है।
बताया गया है कि Nupur Sharma के कथित विवादित बयान के बाद भारत ही नहीं दुनिया भर में आलोचना हुई, इसके साथ ही कई राज्यों में Nupur Sharma के खिलाफ केस दर्ज हुआ। भाजपा की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष Nupur Sharma ने इन सभी केस को क्लब करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। बता दें कि Nupur Sharma ने अपनी जान को खतरा बताते हुए सारे केस दिल्ली ट्रांसफर करने का आग्रह किया था। वहीं,इस अपील को रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश सूर्यकांत और जेबी पारदीवाल ने मौखिक टिप्पणी में कहा था Nupur Sharma के इस बयान ने देश भर में आग लगाने के लिए जिम्मेदार
वहीं,सुप्रीम कोर्ट की इस मौखिक टिप्पणी के बाद अब तक इसके खिलाफ कई संगठन मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिख चुके हैं। वहीं अब केरल हाईकोर्ट के पूर्व जज पीएन रवींद्र ने जो मुख्य न्यायधीश को पत्र लिखा है। केरल के पूर्व जज के द्वारा मुख्य न्यायधीश को भेजे गए लेटर पर नौकरशाही, न्यायपालिका और सेना से जुड़े 117 पूर्व अधिकारियों से हस्ताक्षर किया है। बता दें कि 15 रिटायर्ड जजों, 77 नौकरशाहों व 25 पूर्व सैन्य अफसरों ने सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारडीवाला की टिप्पणियों को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है और कहा देश की सर्वोच्च न्यायालय ने लक्ष्मण रेखा लांघ दी है।।
बता दें कि न्यायपालिका के अब तक के इतिहास में दुर्भाग्यपूर्ण टिप्पणियों का ऐसा कोई उदाहरण नहीं है। ये सबसे बड़े लोकतंत्र की न्याय प्रणाली पर अमिट निशान है। सुप्रीम कोर्ट के 2 न्यायधीशों ने अपनी हाल की टिप्पणियों में लक्ष्मण रेखा लांघी है और हमें ऐसा बयान जारी करने के लिए विवश किया है।
वहीं, इसमें सुधार के कदम उठाए जाने चाहिए अगर ऐसा नहीं हुआ तो लोकतांत्रिक मूल्यों और देश की सुरक्षा पर गंभीर परिणाम झेलने पड़ सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट के दोनों जजों की की इस टिप्पणी ने लोगों को स्तब्ध किया है। बता दें कि ये टिप्पणियां न्यायिक आदेश का हिस्सा नहीं हैं । एक व्यक्ति पर देश के कई राज्यों में दर्ज मुकदमों को क्लब करवाना उनका लीगल राइट है।
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आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 1 जुलाई को सुनवाई को नूपुर शर्मा की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए उनकी जमकर फटकार लगाई थी। इसके साथ ही उनकी टिप्पणी के बाद देश भर में हुए हंगामे के लिए उन्हें ही जिम्मेदार ठहराते हुए कहा था कि उनके इस बयान ने देश भर में आग लगा दी। वहीं, इसके साथ ही कोर्ट ने नूपुर शर्मा से टीवी पर आकर सार्वजिनिक तौर पर माफी मांगने की राय दी थी। बता दें कि यायाधीश ने कहा था देश में उसके बयान के कारण आग लगी है। देश में जो भी हो रहा है, उसके लिए वो ही एकमात्र जिम्मेदार है।