बांदा-डीवीएनए। बुंदेलखंड में यूं तो अनेकों प्रकार के वृक्ष पाए जाते हैं। इनमें कई औषधीय व प्राणवायु प्रदाता हैं। करीब एक दर्जन ऐसे पेड़ हैं जिन्हें विशेष रूप से आक्सीजन वृक्षों का दर्जा मिला हुआ है। बरगद का नाम सबसे ऊपर आता है। अधिक फैलाव के कारण इस वट वृक्ष में आक्सीजन भी अधिक मात्रा में मिलती है। कोरोना संक्रमण के दौर में वृक्षों को खास अहमियत मिली है। इनमें आक्सीजन देने वाले वृक्षों की उपयोगिता एक बार फिर लोगों को समझ में आयी है। प्राणवायु देने वाले वृक्षों के बारे में वैसे तो सभी लोग परिचित हैं लेकिन वानिकी से जुड़े वैज्ञानिकों ने बुंदेलखंड क्षेत्र में एक दर्जन से अधिक वृक्षों को आक्सीजन वृक्ष की फेहरिस्त में शामिल किया है। कृषि विश्वविद्यालय के वानिकी विभाग का कहना है कि बरगद बुंदेलखंड क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण बहुवर्षीय, विशाल, बहुउद्देश्यीय वृक्ष है।
इसका वैज्ञानिक नाम फाइकस बेंगालिसिस अंग्रेजी नाम बनियन ट्री है। धार्मिक दृष्टि से बरगद एक पवित्र वृक्ष है जो अपने अधिक फैलाव के कारण भारी मात्रा में आक्सीजन प्रदान करता है। विशाल आकार के चलते यह हमे गरमी व धूप से भी बचाता है। बारिश के मौसम में पौधरोपण होता है। आने वाला समय बारिश का ही है लिहाजा पौधरोपण की तैयारियां भी शुरू हो गई हैं। कोरोना संक्रमण में सांसों पर संकट आया तो आक्सीजन वृक्षों की याद आयी। लिहाजा आओ रोपों अच्छे पौध की श्रंखला में बरगद जैसे वृक्ष को स्थान देना होगा।
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बुंदेलखंड में मुख्य रूप से बरगद, पीपल, नीम, महुआ, चिरौंजी, तेंदू, अर्जुन, पलास, बबूल, सागौन, कैथा, जामुन, चिलबिल, करंज बहुतायत में पाए जाते हैं। इनके लिए यहां की मिट्टी मुफीद है। यह स्वास्थ्य के लिए भी लाभप्रद हैं। कृषि विश्वविधालय के वैज्ञानिक दिनेश कुमार कहतें हैं की बरगद आक्सीजन प्रदाता व धार्मिक रूप से पवित्र वृक्ष है। इसकी छाया घनी, शीतल व ग्रीष्मकाल में आनंदप्रद होती है। रस, छाल, पत्तों, फल का उपयोग आयुर्वेदिक औषधियों में अनेक रोगों के निवारण में होता है।संवाद विनोद मिश्रा
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