Top points1- ब्रिटेन के ताजा आंकड़ों से सामने आई नई जानकारी।2- डेल्टा वेरिएंट में मामूली सर्दी-जुकाम भी अब हो सकता है कोरोना। 3- जानिए डेल्टा स्वरूप में क्या-कुछ बदला है।
करीब बीते डेढ़ साल के भीतर कोरोना नए-नए स्वरूपों के साथ न सिर्फ ज्यादा संक्रामक हो रहा है बल्कि इसके लक्षण भी बदलते जा रहे हैं। ताजा आंकड़ों से पता चला है कि बीते दिनों में दुनियाभर में तेजी से फैलते डेल्टा स्वरूप से संक्रमित लोग कोरोना के शुरुआती लक्षणों से अलग लक्षण अनुभव कर रहे हैं। ब्रिटेन के ताजा आंकड़ों के मुताबिक पता चला है कि जिसे हम मामूली सर्दी-जुकाम समझ रहे हैं, वह भी अब हो सकता है, कोरोना का लक्षण।
हर इंसानों में हो सकते हैं अलग-अलग लक्षण।
ऑस्ट्रेलिया की ग्रिफिथ यूनिवर्सिटी में संक्रामक रोग व वायरोलॉजी में रिसर्च लीडर लारा हरेरो के अनुसार, सभी इंसान विभिन्न प्रतिरक्षा तंत्र के कारण आपस में अलग-अलग हैं। जिससे इंसानों में एक ही वायरस कई तरीकों से नए-नए संकेत और लक्षण पैदा कर सकता है। उनका कहना है की, वायरस से होने वाली बीमारी दो अहम कारकों पर निर्भर करती है। पहला, वायरस की अपनी प्रतिकृतयां बनाने की गति और प्रसार का माध्यम। दूसरा, म्यूटेशन के कारण वायरल कारकों का बदलना।
आइए जानते है डेल्टा स्वरूप में क्या-कुछ बदला।
बता दे ब्रिटेन में मोबाइल एप के जरिए स्वतः रिपोर्टिंग प्रणाली से मिली सूचना में कोरोना के सामान्य लक्षणों में बदलाव के संकेत मिले हैं। कोरोना के सबसे सामान्य लक्षण बुखार और खांसी हमेशा से रहे हैं। परंतु सिर और गले में दर्द भी पारंपरिक रूप से कुछ लोगों में दिख रहा था। हालांकि नाक बहना शुरुआती मामलों में विरला ही था। वहीं, सूंघने की क्षमता खोना बीते साल से ही प्रमुख लक्षण रहा लेकिन वह अब नौंवे स्थान पर चला गया है।
सूचना के अनुसार मामूली सर्दी-जुकाम भी हो सकता है कोरोना।
हरेरो का कहना है की, डेल्टा के बारे में हमे ज्यादा जानकारी जुटाने की जरूरत है। हालांकि अभी तक सामने आए आंकड़े बताते हैं कि जिसे अभी तक हम मामूली सर्दी-जुकाम (बहती नाक और गले में दर्द) मान रहे थे, वह कोरोना का लक्षण भी हो सकता है। बुजुर्गों में ज्यादा संक्रमण के बाद अब युवाओं में संक्रमण के मामले बढ़े हैं और उनमें हल्के-मध्यम लक्षण दिख रहे हैं। ऐसा वायरस के क्रमिक विकास और डेल्टा की कई विशेषताओं के कारण भी हो सकता है। परंतु लक्षण बदलने के पीछे सटीक जवाब अभी तक नहीं मिल सका है।
हालांकि, इसमें कोई दोराय नहीं है कि कोरोना का नया स्वरूप आने से वैक्सीन का असर कम हो सकता है। लेकिन ऑस्ट्रेलिया के साथ साथ कुछ देशों में डेल्टा से बचाव के लिए फाइजर और एस्ट्राजेनेका की दोनों खुराक से पर्याप्त सुरक्षा मिलने की बात सामने आई है। बता दे की यह दोनों टीके संक्रमण के खिलाफ 90 फीसद तक कारगर मिले हैं।
फेसबुक पर हमसे जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें, साथ ही और भी Hindi News ( हिंदी समाचार ) के अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें. व्हाट्सएप ग्रुप को जॉइन करने के लिए यहां क्लिक करें,
Share this story