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बहुत से निवेशक अपने निवेश के वक्त यह तय नहीं कर पाते कि उन्हें स्थिरता चाहिए या ऊंचा रिटर्न। ऐसे में होता यह है कि वे स्थिरता के लक्ष्य के साथ ऊंचे रिटर्न वाले फंड में निवेश कर देते हैं। कई बार इसका उलटा भी होता है। जाहिर है कि इस असमंजस में अक्सर निवेशक नुकसान उठाते हैं। उन्हें यह समझना होगा कि निवेश में सिर्फ रिटर्न सबकुछ नहीं है।

क्या आप जानते हैं कि आप डेट फंड में निवेश क्यों करते हैं? अगर इसका जवाब आसान नहीं, तो इस सवाल को दूसरी तरह से पूछ सकते हैं। डेट फंड (date fund) में निवेश करने और इक्विटी फंड (equity fund) में निवेश करने के लिए आपके लक्ष्य अलग कैसे हैं? इसके बारे में सोचना आसान होना चाहिए और उम्मीद करता हूं कि इसका जवाब देना भी आसान होगा।

वास्तव में अगर आप इस सवाल का संतोषजनक जवाब दे सकते हैं, तो आप एक सफल म्यूचुअल फंड (mutual fund) निवेशक बन सकते हैं। हालांकि, इस जवाब के बाद आपको कुछ और कदम भी उठाने होंगे। इस सवाल का सबसे सटीक जवाब यह होगा कि आप इक्विटी फंड (equity fund) में ऊंचे रिटर्न के लिए और डेट फंड (date fund) में स्थिरता के लिए निवेश करते हैं।

यहां स्थिरता से मतलब है कि अच्छे और बुरे समय के रिटर्न में ज्यादा अंतर न हो। यह जवाब सटीक असेट अलोकेशन (asset allocation) और असेट रीबैलेंसिंग (asset rebalancing) की बात भी करता है। एक और सामान्य जवाब यह है कि इक्विटी फंड (equity fund) लंबी अवधि के निवेश के लिए है और डेट फंड कम अवधि के निवेश के लिए। वास्तव में यह एक ही बात है जिसे अलग तरीके से कहा जा रहा है।

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मैं इस बात पर शर्त लगा सकता हूं कि कोई भी नहीं कहेगा कि वह ऊंचा रिटर्न हासिल करने के लिए डेट फंड में निवेश कर रहा हैं। लेकिन बहुत से निवेशक अक्सर ऐसा करते हैं। कई बार निवेशक स्थिरता, सुरक्षा के लिए डेट फंड में निवेश करते हैं, लेकिन जब वास्तविक फंड चुनने की बात आती है तो फंड के हाल के महीनों का रिटर्न देखना शुरू कर देते हैं।

अगर आप लक्जरी याट खरीद रहे हैं तो आपको लक्जरी पर फोकस करना चाहिए। निश्चित तौर पर आपको उस खासियत के आधार पर चुनना चाहिए जो कि आपके लिए सबसे ज्यादा मायने रखती है। तो जब आपने स्थिरता के लिए एक निर्धारित रकम डेट फंड में निवेश करने का फैसला कर लिया है तो आप फंड का चुनाव स्थिरता पर करें, न कि इस पर कि उसका रिटर्न कितना है।

पिछले कुछ वर्षों में हमने डेट फंड संकट देखा है। यह निवेशकों, फंड बेचने वालों और फंड मैनेजर की इसी सोच का नतीजा है। ज्यादातर लोग फंड का आकलन सिर्फ रिटर्न के आधार पर करते हैं। इसका एक कारण यह है कि डेट फंड एक कमोडिटी (commodity) की तरह दिखता है। बिक्री और मार्केटिंग के नजरिये से एक को दूसरे से अलग कर पाना तब तक संभव नहीं है, जब तक कि आप इस पर गहराई से गौर न करें। एक दूसरा तरीका यह है कि आप जोखिम के स्तर और रिटर्न के साथ गेम खेलना शुरू कर दें।

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मेरा मानना है कि अगर जोखिम वाले डेट फंड में निवेशकों की रकम अटक गई है तो यह उनकी ही गलती है। फंड बेचने का पूरा इकोसिस्टम (ecosystem) ही ऐसा है जिसने इस तरह के हालात पैदा किए हैं। इसके अलावा सिर्फ रिटर्न के पीछे भागने की निवेशकों की मानसिकता ने भी इसमें मदद की है। स्मार्ट निवेशकों ने इस पूरे अनुभव से काफी कुछ सीखा है।

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