सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को बनभूलपुरा अतिक्रमण मामले में पुनर्वास योजना बनाने के निर्देश दिए हैं। इस आदेश के तहत 50 वर्ष से कब्जे की 30.04 एकड़ भूमि खाली कराई जाएगी, जिससे 4365 परिवारों को विस्थापित होना पड़ेगा। रेलवे और प्रशासन की रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में 4365 परिवार इस भूमि पर रह रहे हैं। पुनर्वास के लिए जमीन की तलाश सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है।
पुनर्वास योजना की कठिनाइयाँ
पुनर्वास की योजना बनाना सरकार के लिए मुश्किल भरा काम है, क्योंकि राज्य सरकार का पुनर्वास के कई मामलों में अब तक का रवैया ढुलमुल रहा है। हल्द्वानी और आसपास के क्षेत्रों में हाई कोर्ट, अंतरराज्यीय बस अड्डा, सैनिकों के बच्चों के लिए छात्रावास जैसी योजनाओं के लिए भी सरकार जमीन नहीं ढूंढ पाई है। इसके अतिरिक्त, आपदा से प्रभावितों के पुनर्वास में भी सरकार को वर्षों लग जाते हैं।
बनभूलपुरा के अतिक्रमण का वर्तमान स्थिति
बनभूलपुरा में 50 हजार से अधिक लोगों का निवास है, जिसमें कच्चे और पक्के मकान शामिल हैं। अतिक्रमण वाले इलाके में दो इंटर कॉलेज, दो प्राइमरी स्कूल, एक जूनियर हाईस्कूल, कई धार्मिक स्थल, और मदरसे भी शामिल हैं। प्रशासन का दावा है कि बनभूलपुरा में अब 20 हजार वोटर हैं और अतिक्रमित जमीन पर 4500 बिजली कनेक्शन हैं
कोर्ट के आदेश और आगे की प्रक्रिया
सुप्रीम कोर्ट ने 20 दिसंबर 2022 को हाईकोर्ट के अतिक्रमण हटाने के आदेश पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने कहा था कि रातोंरात 50 हजार लोगों को नहीं उजाड़ा जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी से स्थानीय लोगों ने राहत की सांस ली है।
रेलवे का विस्तार और विकास
रेलवे और सरकार, सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार बनभूलपुरा में अतिक्रमण हटाने का कार्य करेंगे, जिससे रेलवे का विस्तार संभव होगा और नई ट्रेनें चलाई जा सकेंगी। काठगोदाम रेलवे स्टेशन, जो कुमाऊं का आखिरी स्टेशन है, इससे लाभान्वित होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि पूरी जगह खाली होने पर वंदे भारत समेत कई नई ट्रेनें चलाई जा सकेंगी।
विशेषज्ञों की राय
रविशंकर जोशी, याचिकाकर्ता, का कहना है कि वह एक दशक से अधिक समय से रेलवे की भूमि में अतिक्रमण को हटाने के लिए लड़ रहे हैं। उनके अनुसार, इस कदम से हल्द्वानी और पूरे कुमाऊं का विकास होगा।अब्दुल मतीन सिद्दीकी, उत्तराखंड प्रभारी, सपा, का कहना है कि रेलवे और प्रदेश सरकार को सुप्रीम कोर्ट की तरह मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए गरीब जनता के हित में निर्णय लेना चाहिए।सुहेल सिद्दीकी, प्रदेश महासचिव, कांग्रेस, का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश स्वागतयोग्य है। उन्होंने उम्मीद जताई कि आगे भी कोर्ट का आदेश मानवता के आधार पर आएगा और राज्य सरकार को भी इसी आधार पर वर्षों से रहने वाले हजारों की आबादी के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए।