राज्य आंदोलनकारियों के मुद्दे पर बीजेपी के दो चेहरे दिख रहे हैं। पहले कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने राज्य आंदोलनकारियों के साथ बदसलूकी की। उन्होंने आंदोलनकारियों को अपने कार्यालय से बाहर निकाल दिया और उनके साथ अभद्रता की। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और बीजेपी पर काफी आलोचना हुई।
इसके बाद बीजेपी ने इस मामले को मैनेज करने के लिए एक प्रतिनिधिमंडल मंत्री अग्रवाल से मिला। प्रतिनिधिमंडल ने मंत्री अग्रवाल से माफी मांगने और राज्य आंदोलनकारियों के साथ बातचीत करने को कहा। मंत्री अग्रवाल ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि वह 31 अक्टूबर को एक बैठक बुलाएंगे और उस बैठक में राज्य आंदोलनकारियों के लिए नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण पर अंतिम निर्णय लेंगे।
इस घटना से बीजेपी की छवि को काफी नुकसान हुआ है। यह दिखाता है कि बीजेपी में दो तरह की सोच है। एक तरफ पार्टी के नेता राज्य आंदोलनकारियों के साथ बदसलूकी करते हैं, तो दूसरी तरफ पार्टी के संगठन मंत्री उनसे माफी मांगते हैं और उनसे बातचीत करने की कोशिश करते हैं।
यह देखना होगा कि 31 अक्टूबर को होने वाली बैठक में क्या फैसला होता है। अगर बीजेपी राज्य आंदोलनकारियों के 10 फीसदी आरक्षण के मांग को मान लेती है, तो यह पार्टी के लिए एक बड़ी जीत होगी। लेकिन अगर बीजेपी इस मांग को खारिज कर देती है, तो यह पार्टी के लिए एक बड़ी हार होगी।