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दिन के समय में जैसे ही घड़ी की सुई दो पर जाती है वैसे ही सचिवालय के अनुभागों में सन्नाटा पसर जाता है। कारण है एक साथ लंच ब्रेक का होना। सरकार द्वारा जो शासनादेश पहले जारी किया गया था उसमें अधिकारी और कर्मचारी एक साथ लंच ब्रेक पर नहीं जा सकते थे ।


दरअसल काशीपुर के रहने वाले सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीमुद्दीन की शिकायत के बाद शासन ने 2005 में आदेश जारी किया था जिसके अनुसार 4 जनवरी 2006 को शासन ने सरकारी कार्यालयों में लंच ब्रेक के समय निर्धारण का शासनादेश जारी किया था। आदेश में कहा गया था कि लंच ब्रेक का समय दोपहर एक से ढाई बजे के बीच महज आधे घंटे का होगा। इस अवधि में ही प्रत्येक अधिकारी-कर्मचारी को लंच ब्रेक लेना होगा।


बता दें की सचिवालय में अनुसचिव, अनुभाग अधिकारी व सभी कार्यालयों में वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, प्रशासनिक अधिकारी, कार्यालय अधीक्षक और यहां इस नाम से अधिकार न हो वहां उनसे वरिष्ठ अधिकारी अपने कार्यालय में कार्यरत कर्मचारियों के आधे घंटे के लंच ब्रेक का समय इस तरह निर्धारित करेंगे कि एक बार में करीब एक तिहाई कर्मचारी ही लंच ब्रेक पर जाएं। जहां पर एकल अधिकारी एवं एकल कर्मचारी होंगे, वहां वे आपस में लंच ब्रेक का समय इस तरह तय करेंगे कि उनमें से एक कार्यालय में जरूर मौजूद रहे।


इसी के साथ यह भी प्रावधान था कि लंच ब्रेक पर जाने वाले अधिकारियों की सूची विभाग में भी टांग ली जाएगी।लेकिन अब माहौल कुछ अलग ही देखने को मिलता है। जैसे ही दिन के दो बजते हैं वैसे ही सारे अनुभाग खाली हो जाते हैं। वरिष्ठ अधिकारी तक डेढ़ से दो घंटे के लंच ब्रेक पर चले जाते हैं।

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ज्यादातर अनुभागों में इस नियम का पालन किया जा रहा है। कभी-कभी परिस्थितियां ऐसी बन जाती हैं कि लंच में देरी हो जाती है, जिससे कुछ लोग एकसाथ लंच कर लेते हैं। – विनोद कुमार सुमन, सचिव, सचिवालय प्रशासन

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