होम्योपैथिक विभाग में मृतक आश्रित कोटे से नियमों को ताक पर रखकर की गई नियुक्ति का मामला फाइलों में दब गया है। जी हां बता दे कि निदेशक स्तर से भेजी गई रिपोर्ट में धांधली की बात स्पष्ट हो गई है। इसके बाद भी अभी तक किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की गई है जबकि निदेशालय से दोबारा जवाब भेजा जा चुका है।
आपको बता दें कि होम्योपैथिक विभाग में 1993से 2021के बीच मृत होने वाले कर्मचारियों के आश्रितों की मई-जून 2022 में नियुक्ति की गई। यह नियुक्ति गाजीपुर, ललितपुर,अंबेडकर नगर, प्रयागराज,बलरामपुर,सीतापुर, उन्नाव, लखनऊ के होम्योपैथिक विभाग और होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज में की गई है और अब तत्कालीन निदेशक सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
वहीं आरोप यह भी है कि मृतक आश्रितों में विवाहिता को भी नौकरी दी गई है।इसी तरह कुछ की नियुक्ति मृतक आश्रित कोटे में 20 से 29 साल बाद की गई है, जबकि मृतक आश्रित कोटे में 5 साल के अंदर ही नौकरी देने का प्रावधान है। इसी तरह पदों के विपरीत भी नियुक्ति की गई। मामले की जांच जांच हुई तो जांच में नियुक्ति नियम विरुद्ध पाई गई 14 अक्टूबर को शासन से दोबारा जवाब मांगा गया।उसमें नियुक्ति के मामले में एक-एक कर्मचारी का विवरण मांगा गया।
बता दें की सूत्रों का कहना है निदेशालय से भेजी गई रिपोर्ट में बताया गया कि 17 के बजाय 14 लोगों की नियुक्ति की गई है इसमें 8 नियम विरुद्ध की गई है। 2 प्रकरण शासन को संदर्भित किया गया है।रिपोर्ट में कहां कितनी नियुक्ति हुई है इसका भी भेजा गया है इसके बाद भी इस मामले को दबा दिया गया।
वहीं होम्योपैथिक के निदेशक प्रोफेसर अरविंद कुमार वर्मा का कहना है कि प्रकरण मेरे कार्यभार ग्रहण करने से पहले का है। शासन से जो जानकारियां मांगी गई है उसका जवाब भेज दिया गया है।अब निर्णय शासन को करना होगा। तो दूसरी ओर आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ दयाशंकर मिश्र दयालु का कहना है कि मामला गंभीर है शासन में फाइल कहां है इसे दिखवाकर कार्रवाई की जाएगी।