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उत्तराखंड में आज मनाया जा रहा लोकपर्व इगास, मुख्यमंत्री धामी समेत इन लोगों ने दी इगास की बधाई

उत्तराखंड का लोकपर्व इगास आज शुक्रवार को धूमधाम से मनाया जाएगा। मुख्यमंत्री आवास पर भी इस उपलक्ष में उत्सव होगा और भाजपा बूथ स्तर तक इगास पर्व मनाएगी। पार्टी ने प्रवासियों से पैतृक गांव में पहुंचकर इगास मनाने का भी आवहन किया है।


बता दें कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने संदेश में सभी प्रदेशवासियों को विकास की बधाई दी और लोगों से पैतृक गांव में जाकर पर्व मनाने की अपील की है। शुक्रवार को सभी सरकारी विभागों व दफ्तरों में सार्वजनिक अवकाश भी घोषित किया गया है।केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट इस पर्व को लोकप्रिय बनाने वाले राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने प्रदेशवासियों को इगास पर्व की शुभकामनाएं दी।


वहीं राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि )ने प्रदेशवासियों को उत्तराखंड के लोकपर्व इगास -बग्वाल की बधाई एवं शुभकामनाएं दी।राज्यपाल ने कहा इगास -बग्वाल का यह पर्व सभी प्रदेशवासियों के जीवन में सुख समृद्धि व खुशहाली लाए।यह पर्व उत्तराखंड की लोक संस्कृति व परंपरा का प्रतीक है। यह हमारे पूर्वजों की धरोहर व पर्वतीय संस्कृति की विरासत है। हमें अपने लोकपर्व व संस्कृति को संरक्षित रखने की आवश्यकता है।विशेषकर राज्य के युवा वर्ग को इस दिशा में मिलकर कदम बढ़ाने चाहिए।


बता दें कि इगास के पर्व पर आज भैलो खेलकर और पहाड़ी व्यंजनों के साथ ग्रामीण धूमधाम से पर्व मनाएंगे। इगास के दिन घरों में कोठार ( अनाज रखने के लिए लकड़ी का बर्तन ) में नया अनाज भी भरा जाता है।जनपद के बच्छणसयूँ, रानिगढ़, धनपुर,तल्लानागपुर सहित जखोली ब्लॉक के भरदार क्षेत्र और उखीमठ ब्लॉक के केदारघाटी के गांव में इगास का पर्व धूमधाम के साथ मनाया जाता है। पशुपालक अपने घरों में दूध और दही रखने के लिए नए बर्तन भी रखते हैं। कई गांवों में रक्षाबंधन पर बहनों द्वारा भाइयों की कलाई पर बांधी है राखी को निकालकर गाय की पूंछ पर बांधने की परंपरा भी है। इसे हरिबोधिनी एकादशी के रूप में भी मनाया जाता है।आज के दिन कई गांवों में पशुपालक पशुओं की पूजा-अर्चना का तिलक लगाकर उन्हें पिंडा भी खिलाते हैं।

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इगास पर्व को लेकर अलग-अलग मान्यताएं हैं। कई क्षेत्रों में मान्यता है कि भगवान श्री राम के 14 वर्ष के वनवास से अयोध्या लौटने की सूचना 11 दिन बाद मिलने के कारण दिवाली के 11 दिन पर्व मनाया जाता है। वहीं कई जगह कहा जाता है कि वीर माधो सिंह भंडारी तिब्बती युद्ध पर गए थे और दिवाली तक नहीं लौटे ऐसे में क्षेत्र में दिवाली नहीं मनाई गई इसके बाद वीर माधो सिंह भंडारी दिवाली के 11 दिन बाद युद्ध जीतकर लौटे तो उनके लौटने की खुशी में क्षेत्र भर में धूमधाम से दिवाली मनाई गई।

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