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वेटलिफ्टिंग में 49 किलोग्राम वर्ग में मीराबाई चानू ने जीता देश के लिए पहला गोल्ड, मेराभाई चानू पहले भी देश के लिए गोल्ड जीत चुकी है।ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में आयोजित हुए 2018 CWG में मीराबाई चानू ने गोल्ड मेडल जीता था. उम्मीद थी वो बर्मिंघम में भी भारत का तिरंगा लहराएंगी और हुआ भी कुछ ऐसा ही।
आपको बता दें की मीराबाई चानू का विश्व रिकॉर्ड स्नैच में 88kg का है, जबकि क्लीन एंड जर्क में उन्होंने 118 किग्रा का भार उठाया है।टोक्यो ओलंपिक में मीराबाई चानू ने स्नैच में 88 किग्रा और क्लीन एंड जर्क में 115 किग्रा का भार उठाया था। जहां उन्होंने सिल्वर मेडल जीता था।चानू ने 2020 एशियन चैंपियशिप में कांस्य पदक जीता था और 2017 वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड पर कब्जा किया था। चानू लगातार शानदार प्रदर्शन करते हुए बर्मिंघम पहुंची थीं।
वेटलिफ्टिंग में भारत को यह तीसरा पदक मिला है। इसके पहले 55 किलो की कैटेगरी में सिल्वर मेडल अपने नाम किया था। आज ही 61 किलोग्राम की कैटेगरी में गुरुराजा ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था।
बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स के दूसरे दिन भारत की महिला वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने 49 किलोग्राम में गोल्ड मेडल अपने नाम किया। चानू ने स्नैच में राउंड में शानदार प्रदर्शन करते हुए अपने प्रतिद्वंदियों का काफी पीछे छोड़ दिया था। चानू ने स्नैच के पहले प्रयास 84 किलो वजन को सफलता पूर्वक उठाने के बाद दूसरे प्रयास में 88 किलो वजन उठा लिया। कॉमनवेल्थ गेम्स में महिला वेटलिफ्टिंग में यह रिकॉर्ड भी है 88 किलो का वजन किसी वेटलिफ्टर ने नहीं उठाया है। वहीं चानू का तीसरा प्रयास 90 किलो का था लेकिन उसमें सफल नहीं हो पाईं। वहीं क्लीन एंड जर्क के पहले प्रयास में चानू ने 109 किलो का वजन उठा कर सबको हैरान कर दिया। वहीं दूसरे प्रयास में उन्होंने 113 किलो का वजन उठाया जबकि तीसरे प्रायस में 115 किलो उठाने में वह असफल रही।

वेटलिफ्टिंग में भारत को आज यह तीसरा पदक मिला है। इससे पहले 55 किलोग्राम भारवर्ग में संकेज महादेव ने सिल्वर मेडल अपने नाम किया था। वहीं 61 किलो की कैटेगरी में गुरुराजा ने भारत को ब्रॉन्ज मेडल दिलाया है। मीराबाई चानू ने इससे पहले 2014 के कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर मेडल जीता था। वहीं गोल्ड कोस्ट में कॉमनवेल्थ गेम्स 2018 में मीराबाई गोल्ड मेडल अपने नाम किया था। 27 साल की मीराबाई ने पिछले साल हुए तोक्यो ओलिंपिक में भारत के लिए सिल्वर मेडल जीता था।

मीराबाई चानू भारत के लिए रियो ओलिंपिक में भी उतरी थी लेकिन यहां पर उन्होंने कुछ खास कमाल नहीं किया। हालांकि इसके बाद वह लगातार अपने खेल में सुधार पर करती रही, जिसका परिणाम उन्हें 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल के रूप में मिला।

बेहद गरीब परिवार से आती हैं चानू

मीराबाई चानू का शुरुआती समय काफी गरीबी में बीता। वह घर के लिए जंगलों में लकड़ियां चुना करती थी। 12 साल की उम्र से ही चानू वजन उठाती रही हैं और इसी हुनर के कारण वह विश्व स्तर पर देश का परचम लहरा रही है।

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