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उत्तराखंड से एक बड़ी खबर सामने आ रही है खबर के अनुसार बताया गया है कि अमरनाथ यात्रा के दौरान बालटाल आधार शिविर को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए पहला Parabolic solar concentrator install किया गया है। यह सौर ऊर्जा का pilot project है। इसमें सूर्य से मिली ऊर्जा से खाना पकाया जाता है। अब यात्रियों के लंगर और पानी गर्म करने के लिए पेड़ों से लकड़ियां काटने की जरूरत नहीं पडे़गी। न ही कोयले का इस्तेमाल करना पड़ेगा। नए Project से धुआं नहीं होगा, जिससे प्रदूषण नहीं फैलेगा। एक हफ्ते से इस Project का trial चल रहा है।

वहीं, सामान्य परिस्थिति में इस solar concentrator से 700 डिग्री सेंटीग्रेड तक तापमान हासिल किया जा सकता है। इस बार जम्मू-कश्मीर Rural development department एवं पंचायत विभाग ने तीर्थयात्रा मार्ग की सफाई का जिम्मा लिया है। बता दें कि इसी पहल के हिस्से के तौर पर इस solar concentrator को स्थापित किया गया है। इंदौर के स्टार्टअप स्वाहा को इस Project की जिम्मेदारी मिली है। वहीं, स्वाहा के समीर शर्मा ने बताया कि अगर pilot project सफल होता है तो लंगर में भोजन बनाने या गर्म पानी के लिए लकड़ी या कोयला जलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इससे धुएं से तो मुक्ति मिलेगी ही और साथ ही पेड़ों की कटाई भी रुकेगी।

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आपको बता दें कि स्वाहा की टीम ने बताया कि इसे शेफलर सोलर डिश या Parabolic solar concentrator भी कहते हैं। वहीं, बालटाल में लगे solar concentrator पर 16.16 स्क्वेयर मीटर की दो डिश लगाई गई हैं। इन डिश पर लगे कांच पर जब सूरज की किरणें पड़ती हैं तो उसका रिफ्लेक्शन एक फोकल पॉइंट पर इकट्ठा होता है। आपको बता दें कि Solar energy एक जगह कॉन्सन्ट्रेट होती है उसकी मदद से हम कुकिंग कर सकते हैं। अभी इस प्रोजेक्ट का ट्रायल चल रहा है। सफल रहने पर इसी से ही यात्रियों के लिए खाना बनेगा। उन्होंने कहा कि यह तकनीक 20-25 वर्ष पहले भारत में आई। वहीं, सरकार ने देशभर में इसे 4 जगह लगाया। एक डिश इंदौर में बरली संस्थान में लगाई गई है।

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