देहरादून के मांडूवाला स्थित एक नशा मुक्ति केंद्र में सोमवार को हुई हिंसक झड़प के बाद मेरठ निवासी एक मरीज की हत्या कर दी गई। मृतक की पहचान अजय कुमार (52 वर्ष), पुत्र बलजीत सिंह, निवासी जाहिदपुर, हापुड़ रोड, मेरठ, उत्तर प्रदेश के रूप में हुई है।
इलाज के लिए भर्ती हुआ, मौत साथ ले गया
अजय कुमार 8 अप्रैल से कर्मा वेलफेयर सोसाइटी द्वारा संचालित मांडूवाला के नशा मुक्ति केंद्र में इलाज के लिए भर्ती थे। सोमवार को वहां मौजूद कुछ अन्य युवकों से उनका किसी बात को लेकर विवाद हो गया। कहासुनी इतनी बढ़ गई कि मामला देखते ही देखते हिंसक झगड़े में तब्दील हो गया। झगड़े के दौरान अजय को गंभीर चोटें आईं, जिनके चलते मौके पर ही उनकी मौत हो गई।
बार-बार विवादों में क्यों घिरते हैं नशा मुक्ति केंद्र?
यह कोई पहला मामला नहीं है जब देहरादून के किसी नशा मुक्ति केंद्र में इस तरह की घटना सामने आई हो। इससे पहले भी ऐसे कई मामलों ने व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
पूर्व की प्रमुख घटनाएं जो बनीं चिंता का विषय:
सिद्धार्थ की मौत (अप्रैल 2023)
चंद्रबनी स्थित अराध्या फाउंडेशन में 24 वर्षीय सिद्धार्थ की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। परिजनों का आरोप था कि उसे भोजन और पानी तक नहीं दिया गया, साथ ही बेरहमी से पीटा गया। शव को घर के बाहर फेंक दिया गया था। इस मामले में चार कर्मचारियों को हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
मुवाद अली की मौत (मार्च 2023)
शिमला बाइपास स्थित ‘नई जिंदगी’ नशा मुक्ति केंद्र में सहारनपुर निवासी मुवाद अली की रहस्यमयी स्थिति में मौत हो गई थी। परिजनों ने आरोप लगाया कि केंद्र में उसे प्रताड़ित किया गया और चिकित्सा में लापरवाही बरती गई।
नेहरू कॉलोनी मामला (2021)
लाइफ केयर फाउंडेशन रिहैब सेंटर में एक युवक की मौत के बाद संचालक समेत पांच लोगों के खिलाफ हत्या और मारपीट का मुकदमा दर्ज किया गया था।
प्रशासनिक लापरवाही या प्रणालीगत विफलता?
लगातार सामने आ रही घटनाओं के बाद यह सवाल अब और गंभीर हो चला है कि क्या नशा मुक्ति केंद्रों की निगरानी और संचालन को लेकर कोई ठोस व्यवस्था है भी या नहीं? मरीजों की सुरक्षा, गरिमा और इलाज के नाम पर हो रही क्रूरता प्रशासन की लापरवाही की पोल खोल रही है।