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उत्तराखंड: एयर स्पेस बढ़ने से देहरादून में बढ़ेगी फ्लाइट्स की संख्या, जानें कितने विमानों की होगी लैंडिंग

एयर ट्रैफिक बढ़ाने के लिए एयर स्पेस विस्तार आवश्यक देहरादून एयरपोर्ट के पास वर्तमान में 5 नॉटिकल मील (9.26 किमी) लंबा और 7500 फीट ऊंचा एयर स्पेस उपलब्ध है, जहां एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) द्वारा विमानों को दिशा-निर्देश दिए जाते हैं। इस सीमित एयर स्पेस में प्रति घंटे केवल 7

एयर ट्रैफिक बढ़ाने के लिए एयर स्पेस विस्तार आवश्यक

देहरादून एयरपोर्ट के पास वर्तमान में 5 नॉटिकल मील (9.26 किमी) लंबा और 7500 फीट ऊंचा एयर स्पेस उपलब्ध है, जहां एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) द्वारा विमानों को दिशा-निर्देश दिए जाते हैं। इस सीमित एयर स्पेस में प्रति घंटे केवल 7 विमानों को नियंत्रित किया जा सकता है। यदि एयर स्पेस का विस्तार किया जाए, तो प्रति घंटे 12 विमानों को लैंडिंग और टेक-ऑफ की अनुमति दी जा सकेगी, जिससे एयरपोर्ट की क्षमता में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी।

नए टर्मिनल से बढ़ी क्षमता, लेकिन एयर स्पेस बना चुनौती

हाल ही में एयरपोर्ट पर एक नया टर्मिनल तैयार किया गया है, जिससे इसकी कुल जगह 42,776 वर्ग मीटर हो गई है और इसकी वार्षिक क्षमता 50 लाख यात्रियों तक पहुंच गई है। हालांकि, एयर स्पेस की सीमित उपलब्धता के कारण प्रति घंटे अधिक विमानों को संचालन की अनुमति नहीं मिल पा रही है। वर्तमान में, सुबह 7:30 बजे से लेकर शाम 7:15 बजे तक 18-20 फ्लाइट्स संचालित हो रही हैं, लेकिन अधिक विमानों को सुचारू रूप से उतारने के लिए एयर स्पेस बढ़ाना जरूरी हो गया है।

क्या होता है एयर स्पेस और क्यों है यह महत्वपूर्ण?

एयर स्पेस वह निर्दिष्ट हवाई क्षेत्र होता है, जिसे वायु सेना द्वारा एयरपोर्ट को प्रदान किया जाता है। इसी क्षेत्र में एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) विमानों को नियंत्रित करता है और उनकी उड़ान को सुगम बनाता है। छोटे एयर स्पेस में सीमित संख्या में विमानों को नियंत्रित किया जा सकता है, जबकि बड़े एयर स्पेस में अधिक विमानों को मैनेज किया जा सकता है। यदि एयर स्पेस छोटा हो, तो अधिक फ्लाइट्स के कारण विमानों को हवाई क्षेत्र में लंबे समय तक चक्कर काटना पड़ सकता है, जिससे ईंधन की खपत बढ़ती है और उड़ानों में देरी होती है।

एयरपोर्ट के सामने तीन प्रमुख चुनौतियां

  1. एयर स्पेस की सीमित उपलब्धता – सीमित एयर स्पेस के कारण प्रति घंटे केवल 7 विमानों को नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे ट्रैफिक संचालन में बाधा आती है।
  2. रनवे विस्तार के लिए भूमि की आवश्यकता – एयरपोर्ट को 140.5 एकड़ अतिरिक्त भूमि की जरूरत है, जिससे रनवे विस्तार और अन्य बुनियादी ढांचे के विकास में सहायता मिलेगी।
  3. वन्यजीवों की गतिविधियां – एयरपोर्ट संचालन के दौरान वन्य जीवों की मूवमेंट एक प्रमुख समस्या बनी हुई है, जिससे विमानों की सुरक्षा पर असर पड़ सकता है।

सरकार से मंजूरी की उम्मीद

देहरादून एयरपोर्ट के निदेशक प्रभाकर मिश्रा के अनुसार, एयर स्पेस विस्तार का मुद्दा सलाहकार समिति की बैठक में उठाया गया था। अब इस प्रस्ताव को भारत सरकार के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। यदि एयर स्पेस बढ़ाया जाता है, तो एयर ट्रैफिक नियंत्रण अधिक प्रभावी होगा और हवाई यात्रा को सुगम बनाया जा सकेगा।

निष्कर्ष

देहरादून एयरपोर्ट उत्तराखंड के प्रमुख हवाई अड्डों में से एक है और यहां यात्रियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। बढ़ते हवाई यातायात को देखते हुए एयर स्पेस विस्तार की आवश्यकता है, जिससे एयरपोर्ट की क्षमता में वृद्धि हो और उड़ान संचालन अधिक सुचारू रूप से किया जा सके।

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