चारधाम यात्रा का पहला तीर्थ यमुनोत्री धाम, विशेष पूजा अर्चना के साथ रविवार को शीतकाल के लिए बंद कर दिया गया। अब श्रद्धालु अगले छह महीने मां यमुना के दर्शन व पूजा-अर्चना शीतकालीन प्रवास स्थल खरसाली गांव में कर सकेंगे। इस बार यमुनोत्री धाम यात्रा में श्रद्धालुओं का विशेष उत्साह देखने को मिला। पिछले एक दशक में यमुनोत्री धाम में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या कई गुना बढ़ी है, लेकिन यात्रा व्यवस्थाओं में अपेक्षित सुधार नहीं हो सका। धाम के विकास के लिए कई योजनाओं को मंजूरी मिली है, लेकिन धरातल पर क्रियान्वयन अब तक संभव नहीं हुआ है। खासतौर से, करीब डेढ़ दशक पहले स्वीकृत रोपवे परियोजना अभी तक शुरू नहीं हो पाई है।इस वर्ष यमुनोत्री धाम में 7.14 लाख श्रद्धालु पहुंचे, जबकि पिछले वर्ष 7.35 लाख श्रद्धालुओं ने यहां दर्शन किए थे। हालांकि पिछले साल यात्रा काल 208 दिनों का था, जबकि इस बार यह अवधि केवल 177 दिनों की थी। वर्ष 2011 में यमुनोत्री धाम में जहां 4,67,502 श्रद्धालु पहुंचे थे, वहीं वर्ष 2014 में 38,221 और वर्ष 2016 में 1,60,524 श्रद्धालु ही पहुंचे थे। पिछले वर्ष 2023 में धाम में 7,35,245 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए थे, जबकि इस साल यह संख्या 7,14,755 तक ही पहुंची।पिछले एक दशक में श्रद्धालुओं की आमद में वृद्धि तो हुई है, लेकिन सरकारी तंत्र की अनदेखी के चलते जानकीचट्टी से यमुनोत्री धाम तक का पैदल मार्ग अभी भी असुविधाजनक स्थिति में है। सरकारी स्तर पर व्यवस्था सुधारने के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन यात्रा व्यवस्था में ठोस सुधार नहीं हो पाया है। इस वर्ष जुलाई में आई प्राकृतिक आपदा से धाम में काफी क्षति हुई थी। सुरक्षात्मक उपाय के तौर पर लगाए गए वायरक्रेट्स की गुणवत्ता इतनी खराब थी कि वे कुछ ही दिनों में क्षतिग्रस्त हो गए।पुरोहित महासभा के अध्यक्ष पुरुषोत्तम उनियाल, पूर्व पंच पंडा समिति के अध्यक्ष मनमोहन उनियाल और मंदिर समिति के पूर्व उपाध्यक्ष सुभाष चंद्र उनियाल का कहना है कि यमुनोत्री धाम में विकास कार्यों की सख्त जरूरत है। हाल की आपदा के बाद किए गए अधूरे सुरक्षा इंतजाम अगली मानसूनी सीजन में खतरनाक साबित हो सकते हैं। उन्होंने शासन-प्रशासन से आग्रह किया है कि यमुनोत्री धाम का मास्टर प्लान तैयार कर योजनाबद्ध तरीके से विकास किया जाए।धामों के विकास के लिए सरकार भी गंभीर है और दोनों धामों के विकास के लिए पहले ही ब्लूप्रिंट और विस्तृत कार्ययोजना तैयार करने हेतु 500 करोड़ रुपये की मांग की गई है।
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