राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक डॉ. साकेत बडोला ने बताया, बाघ एक लंबी दूरी के प्रवास पर है। बाघ ने उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश से होते हुए अब तक सैकड़ों किमी की दूरी तय की है। बाघ पिछले साल राजाजी टाइगर रिजर्व से पलायन कर गया था।
राजाजी टाइगर रिजर्व से निकलकर एक बाघ हरियाणा से होते हुए फिर पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश पहुंच गया। यहां रेणुका के जंगल में बाघ की तस्वीरें ट्रैप कैमरे में कैद हुई हैं। राजाजी टाइगर रिजर्व के अधिकारियों की मानें तो बाघ घर वापसी के रास्ते में हैं।
यमुना का जलस्तर कम होने के बाद संभवत: बाघ फिर से राजाजी क्षेत्र में पहुंच जाए। राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक डॉ. साकेत बडोला ने बताया, बाघ एक लंबी दूरी के प्रवास पर है। बाघ ने उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश से होते हुए अब तक सैकड़ों किमी की दूरी तय की है। बाघ पिछले साल राजाजी टाइगर रिजर्व से पलायन कर गया था।
आरटीआर की गौहरी और चिल्ला रेंज से होते हुए बाघ सबसे पहले गंगा को पार करते हुए रिजर्व की मोतीचूर रेंज में पहुंचा। इसके बाद फरवरी में इसके पांवटा-रेणुका के सिंबलवाड़ा वन्यजीव अभ्यारण्य में होने की सूचना मिली थी। बडोला ने बताया, मई माह में बाघ के हरियाणा के कालेसर वन्यजीव अभ्यारण्य में होने की सूचना मिली थी।
निदेशक बडोला ने बताया, अब बाघ को हिमाचल प्रदेश के रेणुका के जंगलों में देखा गया है, जहां वह अगस्त के मध्य में आया था। हिमाचल प्रदेश के वन विभाग के अधिकारियों ने बाघ के ट्रैप कैमरे में दिखने की पुष्टि की है। बडोला ने बताया, हिमाचल प्रदेश के जंगलों में बाघ की वापसी से पता चलता है कि वह आरटीआर में अपने पिछले निवास स्थान के रास्ते में है।
बाघ अक्सर नए ठिकाने की तलाश में लंबी दूरी तय करते हैं। इस दौरान अगर उन्हें नया निवास मानवीय हस्तक्षेप से सुरक्षित लगता है और वहां भोजन-पानी की पर्याप्त उपलब्धता संग जीवित रहने के अन्य मापदंड ठीक रहते हैं तो वह इसे अपना लेते हैं। यदि ऐसा नहीं होता तो वे अपने पिछले निवास स्थान की ओर लौट आते हैं। बडोला ने बताया, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा से होते हुए बाघ का लंबा और निर्बाध प्रवास यह भी संकेत देता है कि चार राज्यों से गुजरने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला गलियारा जीवित है।