उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के बड़कोट नगर पालिका क्षेत्र में लक्ष्मीनारायण मंदिर के पास देर रात एक भीषण आगजनी की घटना ने तबाही मचा दी। इस हादसे में सात आवासीय मकान और पांच दुकानें जलकर राख हो गए। हालांकि, गनीमत रही कि इस घटना में कोई जनहानि नहीं हुई। आग लगने से घरों और दुकानों में रखा सारा सामान खाक हो गया, जिससे स्थानीय लोग सदमे में हैं।
आग लगने का समय और वजह
यह भीषण आग रात करीब दो बजे अचानक भड़क उठी। आग इतनी तेजी से फैली कि लोगों को अपनी जान बचाने के लिए घरों से भागना पड़ा। घटना के दौरान एक के बाद एक चार गैस सिलेंडरों के फटने से इलाके में दहशत फैल गई। फिलहाल आग लगने के कारणों का पता नहीं चल पाया है। पुलिस और संबंधित विभागों द्वारा मामले की जांच जारी है।
समय पर मदद न पहुंचने से आक्रोश
स्थानीय लोगों का कहना है कि आग लगने की सूचना तुरंत फायर सर्विस को दी गई, लेकिन बड़कोट में मौजूद फायर सर्विस का वाहन खराब होने के कारण मदद समय पर नहीं पहुंच सकी। नौगांव और पुरोला से फायर सर्विस की गाड़ियां आने में काफी देर हो गई। इस देरी के चलते आग पर काबू पाने में मुश्किलें बढ़ गईं। स्थानीय लोगों ने खुद पानी लाकर आग बुझाने की कोशिश की। फायर सर्विस की लेटलतीफी और अधिकारियों के फोन न उठाने से लोगों में भारी आक्रोश है।
प्रशासन की भूमिका और बचाव कार्य
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस, होमगार्ड और आईआरबी के जवान मौके पर पहुंचे और पांच लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला। अग्निकांड में प्रभावित परिवारों ने फिलहाल अन्यत्र शरण ली है। प्रशासन द्वारा प्रभावित परिवारों को राहत पहुंचाने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है।
प्रभावित मकान और दुकानें
इस हादसे में जिन मकानों और दुकानों को नुकसान हुआ है, उनमें राकेश भंडारी, चंद्रपाल, कल्याण सिंह, मंगल सिंह और शैलेन्द्र सिंह के घर शामिल हैं। राकेश भंडारी का परिवार मकान में रह रहा था, जो आग की लपटों से बचने के लिए समय रहते बाहर निकल आया। वहीं, दुकानों में ड्राईक्लीन, फास्ट फूड और सब्जी की दुकानें शामिल थीं, जो पूरी तरह जलकर खाक हो गईं।
स्थानीय प्रशासन से मांग
स्थानीय लोगों ने फायर सर्विस की खराब स्थिति और समय पर मदद न मिलने पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि बड़कोट में फायर सर्विस की व्यवस्था को दुरुस्त किया जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
इस हादसे ने एक बार फिर उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन और फायर सर्विस की स्थिति पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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