उत्तराखंड देश का पहला राज्य बनने जा रहा है, जहां योग नीति लागू की जाएगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घोषणा की है कि यह नीति आयुर्वेद और योग को एकीकृत करके स्वास्थ्य क्षेत्र में व्यापक बदलाव लाने का कार्य करेगी। वर्तमान में राज्य में 300 आयुष्मान आरोग्य केंद्र संचालित किए जा रहे हैं और 50 नए योग और वेलनेस केंद्र स्थापित करने की योजना बनाई गई है।
योग और आयुर्वेद का प्रचार-प्रसार
देहरादून में आयोजित 10वीं विश्व आयुर्वेद कांग्रेस और आरोग्य एक्सपो के उद्घाटन के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार के लिए केंद्र और राज्य सरकार निरंतर कार्य कर रही है। उत्तराखंड में आयुष आधारित स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए प्रत्येक जिले में 50 और 10 बिस्तरों वाले आयुष अस्पताल स्थापित किए जा रहे हैं। इसके अलावा, हर जिले में एक गांव को मॉडल आयुष गांव के रूप में विकसित कर आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का संरक्षण और संवर्धन किया जाएगा।
आयुष औषधि केंद्रों की स्थापना
केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री प्रताप राव जाधव ने बताया कि केंद्र सरकार हर जिले, तहसील और गांव स्तर पर आयुष औषधि केंद्र खोलने की दिशा में कार्य कर रही है। इन केंvaahद्रों से आयुर्वेदिक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित होगी, जिससे आयुष चिकित्सक आसानी से उपचार कर सकेंगे।
अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान की स्थापना का प्रस्ताव
मुख्यमंत्री ने राज्य में अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान की स्थापना के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध किया है। यह संस्थान आयुर्वेदिक शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। इसके अलावा, राज्य सरकार आयुष टेली-कंसल्टेशन सेवा शुरू करने की भी योजना बना रही है, जिससे दूरस्थ क्षेत्रों में आयुर्वेदिक सेवाएं सुलभ होंगी।
जड़ी-बूटियों का संरक्षण और अंतरराष्ट्रीय पहचान
मुख्यमंत्री ने विशेषज्ञों से उत्तराखंड की जड़ी-बूटियों को हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में प्रचारित करने का आग्रह किया, ताकि इनकी पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ाई जा सके।
इस नई नीति और योजनाओं के जरिए उत्तराखंड न केवल स्वास्थ्य क्षेत्र में एक नई क्रांति लाने के लिए तैयार है, बल्कि योग और आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने में भी अहम भूमिका निभाएगा।
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