कैग (CAG) की रिपोर्ट 2024 के अनुसार, उत्तराखंड प्रदेश पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। वर्ष 2022-23 में प्रदेश का कुल कर्ज 72,860 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जो वर्ष 2018-19 में 58,039 करोड़ रुपये था। इस प्रकार, पिछले पांच वर्षों में कर्ज में 25.53% की वृद्धि हुई है। हालांकि, प्रदेश की अर्थव्यवस्था के बढ़ते आकार और ऋणों के पुनर्भुगतान में तेजी के चलते, जीएसडीपी के मुकाबले ऋण का अनुपात 24.08% तक कम हो गया है, जो पिछले पांच वर्षों में सबसे निचला स्तर है।
कर्ज और देनदारी का बढ़ता ग्राफ
रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश के कर्ज में मुख्य रूप से लोक ऋण (मार्केट लोन) शामिल हैं, जो वर्तमान में 56,510 करोड़ रुपये हैं। साथ ही, देनदारियों का ग्राफ भी उसी अनुपात में बढ़ रहा है। सकारात्मक संकेत यह है कि राज्य सरकार कर्ज की देनदारियों को कम करने और ऋण पुनर्भुगतान में तेजी लाने के लिए प्रयासरत है। 2018-19 में जहां ऋण पुनर्भुगतान का प्रतिशत 72.07% था, वह 2022-23 में 91.84% तक पहुंच गया है।
कर्ज के आंकड़े और जीएसडीपी के अनुपात में ऋण
वर्ष 2018-19: 58,039 करोड़ रुपये (25.20%)
वर्ष 2019-20: 65,982 करोड़ रुपये (27.58%)
वर्ष 2020-21: 71,435 करोड़ रुपये (30.16%)
वर्ष 2021-22: 71,374 करोड़ रुपये (26.23%)
वर्ष 2022-23: 72,860 करोड़ रुपये (24.08%)
ऋण लेने की प्रवृत्ति में कमी और पुनर्भुगतान में वृद्धि
प्रदेश में कर्ज लेने की प्रवृत्ति में कमी और पुनर्भुगतान में वृद्धि का भी संकेत मिलता है। 2022-23 में सरकार ने 3,817 करोड़ रुपये का ऋण लिया, जबकि 4,017 करोड़ रुपये का पुनर्भुगतान किया। यह स्पष्ट करता है कि राज्य सरकार कर्ज के पुनर्भुगतान को प्राथमिकता दे रही है।
- वर्ष 2031 तक चुकाए जाने वाले 56 हजार करोड़ के कर्ज
कैग की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य सरकार को 2030-31 तक 56,000 करोड़ रुपये से अधिक का ऋण चुकाना होगा। इस पुनर्भुगतान में हर साल 3,200 करोड़ रुपये से लेकर 14,000 करोड़ रुपये तक की राशि शामिल होगी।*
- वर्ष 2033 तक ब्याज में जाएगा 19 हजार करोड़
2033 तक राज्य सरकार को 19,000 करोड़ रुपये की राशि ब्याज के रूप में चुकानी होगी। 2023-24 से 2032-33 तक 44,910 करोड़ रुपये का ऋण चुकाया जाना है, जिस पर ब्याज का यह बोझ पड़ेगा।
कैग की रिपोर्ट उत्तराखंड की आर्थिक स्थिति और कर्ज के बढ़ते दायित्व पर महत्वपूर्ण प्रकाश डालती है। सरकार द्वारा कर्ज लेने की प्रवृत्ति में कमी और पुनर्भुगतान में तेजी एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन कर्ज का बढ़ता आंकड़ा और भविष्य में उच्च ब्याज भुगतान की स्थिति राज्य की वित्तीय चुनौतियों को दर्शाते हैं।
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