उत्तराखंड के नगर निगम क्षेत्रों में डेयरी संचालन अब नए नियमों के अधीन होगा। शहरी विकास विभाग ने व्यावसायिक डेयरी परिसर अनुज्ञाकरण नियमावली 2024 की अधिसूचना जारी की है। इस नियमावली के तहत, डेयरी संचालकों को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति के साथ नगर निगम में पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। नियमावली पर सुझाव मांगे गए थे, और अब इसे जल्द ही प्रभावी किया जाएगा।
मुख्य बिंदु:
1. नियमावली का दायरा
– यह नियम केवल नगर निगम क्षेत्रों में ही लागू होगा।
– पंजीकरण प्रक्रिया के अंतर्गत नगर निगम के पशु चिकित्सक के नेतृत्व में एक निरीक्षण दल स्थल का दौरा करेगा। उनकी रिपोर्ट के आधार पर ही पंजीकरण को स्वीकृति दी जाएगी।
– डेयरी परिसर के भीतर एक प्रमुख स्थान पर पंजीकरण का लाइसेंस प्रदर्शित करना अनिवार्य होगा।
2. पंजीकरण और नवीनीकरण प्रक्रिया
– डेयरी का पंजीकरण पांच साल के लिए मान्य होगा, जिसे पुनः पांच साल के लिए बढ़ाया जा सकता है।
– पंजीकरण शुल्क: प्रति पशु 1000 रुपये
– नवीनीकरण शुल्क: प्रति पशु 1000 रुपये
– पंजीकरण न कराने पर 200 रुपये प्रति पशु का जुर्माना लगाया जाएगा। नोटिस के बाद भी पंजीकरण नहीं कराने पर हर महीने 200 रुपये प्रति पशु का अतिरिक्त जुर्माना लगेगा।
3. पर्यावरण और स्वच्छता के कड़े मानदंड
– किसी भी परिस्थिति में गोबर या अन्य अपशिष्ट नालियों, नदियों, नहरों, तालाबों, झीलों, या झरनों में बहाना सख्त वर्जित रहेगा। इस नियम का उल्लंघन करने पर 500 रुपये प्रति पशु का जुर्माना लगाया जाएगा।
– 10 पशुओं का अपशिष्ट निस्तारण शुल्क: 4000 रुपये प्रतिमाह।
– मृत पशुओं के निस्तारण के लिए प्रति पशु 1000 रुपये शुल्क निर्धारित किया गया है।
4. पशुओं के रख-रखाव के लिए अनिवार्य दिशा निर्देश
– वयस्क पशु के लिए न्यूनतम 40 वर्ग फुट और शिशु पशु के लिए 10 वर्ग फुट जगह अनिवार्य होगी।
– किसी भी पशु को जान से मारना, भूखा रखना, या शिशु पशुओं का त्याग करना कानूनन अपराध माना जाएगा और इसके लिए कड़ी सजा का प्रावधान होगा।
– डेयरी संचालक, नगर निगम के निर्देश पर, अपनी डेयरी को शहर के बाहर स्थानांतरित करने के लिए बाध्य होंगे।
5. जल उपयोग और पौधरोपण की शर्तें
– प्रति पशु अधिकतम 150 लीटर पानी की सीमा निर्धारित की गई है।
– डेयरी परिसर में पौधरोपण करना अनिवार्य होगा, जिससे पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा दिया जा सके।
6. अन्य जुर्माने और दंड
– नियमों के उल्लंघन पर 2000 रुपये प्रति पशु का जुर्माना लगाया जाएगा।
– गोबर या अपशिष्ट बहाने पर: 500 रुपये प्रति पशु जुर्माना।
– किसी डेयरी पशु को आवारा छोड़ने पर: 2000 रुपये प्रति पशु का जुर्माना।
नए नियम डेयरी संचालन को अधिक संगठित और पर्यावरण-अनुकूल बनाने के उद्देश्य से बनाए गए हैं। नगर निगमों के लिए पंजीकरण और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनुमति लेना न केवल संचालन को वैध बनाएगा, बल्कि स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित करने में भी मददगार होगा।
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