उत्तराखंड के नगर निकाय चुनावों में इस बार मतदान प्रतिशत में गिरावट ने सभी को चौंका दिया है। खासतौर पर देहरादून जिले में कम मतदान ने प्रदेश के चुनावी गणित को प्रभावित किया है। वर्ष 2018 के निकाय चुनावों में देहरादून में 68.78 प्रतिशत मतदान हुआ था, जबकि इस बार यह आंकड़ा 60 प्रतिशत तक भी नहीं पहुंच पाया। देहरादून जिले के मतदाताओं की मतदान में घटती रुचि चिंता का विषय बन गई है।

देहरादून जिले का प्रदर्शन निराशाजनक

देहरादून जिले में सबसे कम मतदान दर्ज किया गया। अनंतिम आंकड़ों के अनुसार, यहां मतदान प्रतिशत 55 के आसपास रहा। पिछले निकाय चुनावों की तुलना में यह गिरावट चौंकाने वाली है। वर्ष 2018 में यहां 68.78 प्रतिशत मतदान हुआ था, जबकि इस बार यह आंकड़ा 60 प्रतिशत के करीब भी नहीं पहुंच सका। अंतिम आंकड़े आने के बाद भी इसमें केवल 2-3 प्रतिशत की वृद्धि की संभावना है।

राज्य में मतदान प्रतिशत में गिरावट

राज्य के अन्य जिलों में भी मतदान प्रतिशत में गिरावट देखी गई। 2018 में हुए निकाय चुनावों में उत्तराखंड में कुल 69.78 प्रतिशत मतदान हुआ था। इस बार अनंतिम आंकड़ों के अनुसार, यह प्रतिशत घटकर 66 पर आ गया है। हालांकि अंतिम आंकड़े आने पर यह 1-2 प्रतिशत बढ़ सकता है, लेकिन पिछले चुनाव के आंकड़े तक पहुंचना मुश्किल है।

देहरादून: राज्य की चुनावी तस्वीर का दर्पण

देहरादून जिले में कुल 9.98 लाख मतदाता हैं, जो राज्य में किसी भी जिले से सबसे अधिक हैं। यहां राज्य का सबसे बड़ा नगर निगम भी है। इस जिले का प्रदर्शन पूरे प्रदेश की चुनावी स्थिति को प्रभावित करता है। लेकिन इस बार मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की संख्या में कमी ने राजनीतिक विश्लेषकों को हैरान कर दिया है।

मतदान में गिरावट के संभावित कारण

  1. मतदाता सूची में गड़बड़ियां: कई मतदान केंद्रों पर मतदाताओं के नाम सूची से गायब होने की शिकायतें आईं।
  2. पाश इलाकों में कम रुचि: शहरी और पाश क्षेत्रों में मतदाताओं की मतदान में रुचि कम रही।
  3. राजनीतिक जागरूकता की कमी: राजनीतिक दलों और राज्य निर्वाचन आयोग के प्रयासों के बावजूद मतदाताओं में जागरूकता की कमी देखी गई।

अन्य जिलों की स्थिति

राज्य के अन्य जिलों में मतदान प्रतिशत 61 से 72 के बीच रहने का अनुमान है। 2018 में ऊधम सिंह नगर में सबसे अधिक 73.77 प्रतिशत मतदान हुआ था, जबकि अल्मोड़ा में सबसे कम 58.82 प्रतिशत। इस बार भी ऊधम सिंह नगर और हरिद्वार जैसे जिलों में अपेक्षाकृत बेहतर मतदान हुआ है।

निष्कर्ष

देहरादून जिले में मतदान प्रतिशत की गिरावट ने न केवल राजनीतिक दलों को बल्कि पूरे राज्य को सोचने पर मजबूर कर दिया है। मतदान में गिरावट के कारणों का विश्लेषण कर आगामी चुनावों में इसे सुधारने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

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