उत्तराखंड के बहुचर्चित राष्ट्रीय राजमार्ग-74 (एनएच-74) घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मुख्य आरोपी पीसीएस अधिकारी दिनेश प्रताप सिंह और सात किसानों पर 15 करोड़ रुपये से अधिक की मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया है। स्पेशल कोर्ट ईडी ने शुक्रवार को इस मामले में दाखिल किए गए आरोपपत्र को स्वीकार किया और मामले की अगली सुनवाई 13 नवंबर को निर्धारित की गई है। मार्च 2017 में यह घोटाला प्रकाश में आया था, जिसे उत्तराखंड का सबसे बड़ा घोटाला कहा जा रहा है। घोटाले की जांच के लिए तत्कालीन त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था। प्रारंभिक जांच में घोटाले का आकार 400 करोड़ रुपये से अधिक आंका गया था। इस मामले में आरोपियों के खिलाफ लगातार कार्रवाई करते हुए ईडी ने किसानों और अधिकारियों की संपत्तियों को भी अटैच किया है।
मुख्य आरोप और कार्रवाई
पीसीएस अधिकारी दिनेश प्रताप सिंह, जो उस समय के एसएलओ थे, को घोटाले का मुख्य आरोपी माना गया है। वह एक साल से अधिक समय तक जेल में रहे। इसके अलावा, पंजाब के सात किसानों के खिलाफ भी आरोप लगाए गए हैं, जिनमें जिशान अहमद, सुधीर चावला, अजमेर सिंह, गुरवैल सिंह, सुखवंत सिंह, सुखदेव सिंह, और सतनाम सिंह शामिल हैं। ईडी ने इस मामले की जांच के बाद 10 सितंबर को इन सभी आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। इससे पहले, ईडी ने किसानों और अधिकारियों की करोड़ों रुपये की संपत्तियों को अटैच किया है, जिससे घोटाले की गंभीरता और भी स्पष्ट होती है।
केस की पृष्ठ
भूमियह घोटाला तब सामने आया जब तत्कालीन एडीएम प्रताप शाह ने ऊधमसिंहनगर के सिडकुल चौकी में एनएचएआइ के अधिकारियों, कर्मचारियों और सात तहसीलों के तत्कालीन एसडीएम, तहसीलदार और अन्य कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। इसके बाद इस मामले में दो आईएएस और पांच पीसीएस अधिकारियों को निलंबित किया गया, जबकि 30 से अधिक अधिकारियों, कर्मचारियों और किसानों को जेल जाना पड़ा।सरकार द्वारा की गई जांच में सामने आया कि घोटाले में एनएचएआई के अधिकारी, कर्मचारी और संबंधित तहसीलों के अधिकारी शामिल थे, जिन्होंने भूमि अधिग्रहण के मुआवजे में धांधली कर करोड़ों रुपये का गबन किया।