उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले के मूल निवासी एक परिवार में भयानक घटना घटित हुई जब 60 वर्षीय मेघनाथ ने शनिवार रात अपनी पत्नी आशा देवी (56) की फावड़े से गर्दन पर वार कर हत्या कर दी। घटना के बाद क्षेत्र में सनसनी फैल गई। मृतका के बेटे नरेंद्र की शिकायत पर पुलिस ने आरोपी पति को गिरफ्तार कर लिया है।
मेघनाथ अपने परिवार के साथ भुजिया नंबर एक, नौगवांठग्गू में किराए के मकान में रह रहा था। शनिवार शाम परिवार के साथ भोजन करने के बाद सभी सो गए थे। रात करीब साढ़े 11 बजे, मेघनाथ ने अपनी पत्नी की गर्दन पर फावड़े से हमला कर दिया। चीख-पुकार सुनकर दूसरे कमरे में सो रही बहू पिंकी जाग गई और सास के क्षत-विक्षत शव को देखकर घबरा गई। पड़ोसी भी शोर सुनकर मौके पर पहुंचे।
मेघनाथ का बेटा, नरेंद्र, जो पीलीभीत रोड स्थित एक फैक्टरी में नाइट ड्यूटी कर रहा था, जब उसे फोन पर मां की हत्या की खबर मिली, तो वह तुरंत घर पहुंचा। सूचना मिलने पर पुलिस भी मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया।
हत्या का कारण और जांच
*मृतका के बेटे नरेंद्र ने पुलिस को बताया कि उसके पिता, मेघनाथ, उसकी मां पर शक करते थे, जिसके चलते उसने यह घिनौनी हरकत की। कोतवाल प्रकाश सिंह दानू ने भी इसी संदेह के आधार पर हत्या की संभावना जताई है। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कर उसे न्यायालय में पेश किया है। फोरेंसिक टीम ने रविवार सुबह घटनास्थल से साक्ष्य एकत्रित किए।*
घटना के बाद हत्यारोपी का व्यवहार
*पत्नी की हत्या करने के बाद मेघनाथ घर पर ही बैठा रहा और अपने गांव में एक रिश्तेदार को हत्या की सूचना दी। रात 12 बजे के करीब पड़ोसियों और अन्य लोगों को जब इस घटना का पता चला तो वे हतप्रभ रह गए। क्षेत्र के लोग आशा देवी को सज्जन और नेकदिल महिला के रूप में जानते थे।
मेघनाथ की मानसिक स्थिति
मेघनाथ के परिवार के मुताबिक, उसके दो पुत्रों की पहले ही मृत्यु हो चुकी है। एक दिव्यांग पुत्र का निधन कई साल पहले हो गया था, जबकि दूसरे पुत्र की मौत पिछले साल हुई थी। इन घटनाओं के कारण वह मानसिक रूप से परेशान रहता था और उसका इलाज बरेली से चल रहा था।
परिवार में शोक की लहर
इस घटना से परिवार और गांव में शोक की लहर दौड़ गई है। मृतका की बेटी और दामाद बरेली से तुरंत पहुंच गए, वहीं यूपी स्थित उनके गांव से भी कई लोग रविवार को शोक जताने पहुंचे।
यह भी पढें- सीएम धामी का ऐलान, उत्तराखंड में आंदोलनकारियों और आश्रितों को नौकरी में 10% आरक्षण की मिली मंजूरी