उत्तराखंड में होने वाले आगामी नगर निकाय चुनावों को लेकर एक बड़ा अपडेट सामने आया है। राज्य सरकार ने यह साफ कर दिया है कि चुनाव वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर ही कराए जाएंगे। शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने यह घोषणा करते हुए ओबीसी आरक्षण पर उठ रही अटकलों पर विराम लगा दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि 10 नवंबर तक निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी जाएगी, जिसके बाद दिसंबर तक 105 में से 102 नगर निकायों में चुनाव संपन्न कराए जाएंगे।इससे पहले, निकाय चुनावों को लेकर हाईकोर्ट में अक्टूबर महीने में चुनाव की समय सारिणी दाखिल की गई थी, जिसके आधार पर राज्य में तैयारियां भी चल रही थीं। हालांकि, ओबीसी आरक्षण संशोधन विधेयक को विधानसभा में पेश करने के बाद इसे प्रवर समिति के पास भेजा गया था, जिससे चुनाव की तारीख को लेकर अनिश्चितता उत्पन्न हो गई थी।

प्रवर समिति की चर्चा और आरक्षण पर विचार

ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर प्रवर समिति व्यापक विचार-विमर्श कर रही है। शहरी विकास मंत्री ने कहा कि इस विषय पर समिति द्वारा गहन अध्ययन किया जा रहा है, और इसमें अभी काफी समय लग सकता है। इसी वजह से समिति के कार्यकाल को बढ़ाने की सिफारिश विधानसभा अध्यक्ष से की गई है। समिति का कार्यकाल 8 अक्टूबर को समाप्त हो रहा है, और इसमें अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है। विधायक हरीश धामी ने समिति की बैठक के बाद बताया कि ओबीसी आरक्षण को लेकर गंभीर चर्चा की गई है, और यह निर्णय लिया गया है कि जब तक ओबीसी की पात्रता का सही परीक्षण नहीं हो जाता, तब तक कोई अंतिम निर्णय नहीं होगा। इस बैठक में शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के साथ विधायक मुन्ना सिंह चौहान, विनोद चमोली, खजानदास, ममता राकेश, और मोहम्मद शहजाद भी शामिल हुए।

चुनाव की तैयारियाँ जोरों पर

निकाय चुनाव की तारीख को लेकर स्पष्टता आने के बाद, अब राज्य के विभागीय अधिकारी चुनाव की तैयारियों में पूरी तरह जुट गए हैं। हालांकि, ओबीसी आरक्षण पर प्रवर समिति की रिपोर्ट आने तक कुछ अनिश्चितता बनी हुई है, लेकिन सरकार ने चुनाव की प्रक्रिया को समय पर पूरा करने का पूरा भरोसा दिलाया है। आगामी चुनाव राज्य के शहरी विकास और राजनीतिक समीकरणों के लिए महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं, खासकर ओबीसी आरक्षण को लेकर हो रहे व्यापक विमर्श के कारण। निकाय चुनावों से पहले यह स्पष्ट करना भी महत्वपूर्ण हो गया है कि ओबीसी आरक्षण किस तरह लागू होगा, जिससे राज्य की सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था पर इसका व्यापक असर हो सकता है।

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