उत्तराखंड में नगर निकाय चुनाव 2025 के दौरान राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का नाम वोटर लिस्ट से गायब होना एक बड़ा मुद्दा बन गया है। इस वजह से हरीश रावत अपना मतदान नहीं कर सके। इस पर उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को जिम्मेदार ठहराते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं।
हरीश रावत के आरोपों पर बीजेपी ने पलटवार किया है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि हरीश रावत मतदान को लेकर कितने जागरूक हैं, यह इस बात से साफ होता है कि वह वोटिंग के दिन ही अपना नाम ढूंढने निकले। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि शायद हरीश रावत को यह भी पता नहीं है कि वह किस जगह के वोटर हैं।
महेंद्र भट्ट ने आगे कहा कि हरीश रावत कभी हरिद्वार, कभी उधम सिंह नगर और कभी अल्मोड़ा से चुनाव लड़ते हैं। उन्हें यह तक नहीं पता कि वह ग्रामीण क्षेत्र के वोटर हैं या शहरी निकाय के। भट्ट ने आरोप लगाया कि चुनावी हार को भांपते हुए हरीश रावत इस तरह के आरोप लगाकर सिर्फ नाटक कर रहे हैं, जो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता को शोभा नहीं देता।
इस विवाद में कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी और उनके परिवार का नाम भी सामने आया है। गरिमा ने बताया कि उनके और उनके परिवार के अन्य सदस्यों का नाम भी वोटर लिस्ट से गायब है। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने विधानसभा और लोकसभा चुनाव में मतदान किया था, लेकिन इस बार नगर निकाय चुनाव की सूची में उनका नाम नहीं है।
इस घटना ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है। हरीश रावत और गरिमा दसौनी जैसे वरिष्ठ नेताओं के नाम लिस्ट से गायब होने पर कांग्रेस ने इसे प्रशासनिक चूक बताते हुए बीजेपी पर सवाल खड़े किए हैं। वहीं, बीजेपी इसे कांग्रेस का दिखावटी ड्रामा करार दे रही है।