किच्छा: शंकर फार्म क्षेत्र में जबरन स्मार्ट मीटर लगाने की सूचना मिलने पर विधायक तिलक राज बेहड़ का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। वह मौके पर पहुंचे और कर्मचारियों से मीटर छीनकर हाईवे पर पटककर तोड़ डाले। उनके आक्रोश का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने सड़क पर बिखरे हुए मीटरों को ईंट से भी तोड़ना शुरू कर दिया।
ग्रामीणों के विरोध के बीच विधायक का आक्रामक रुख
सोमवार को ऊर्जा निगम के कर्मचारी शंकर फार्म क्षेत्र में स्मार्ट मीटर लगाने पहुंचे, लेकिन स्थानीय ग्रामीण इसके खिलाफ थे। जब ग्रामीणों ने विरोध किया तो कर्मचारियों ने उन्हें कानूनी कार्रवाई की चेतावनी देनी शुरू कर दी। इसी बीच किसी ने विधायक तिलक राज बेहड़ को फोन पर जानकारी दी।
कुछ ही देर में बेहड़ समर्थकों के साथ वहां पहुंच गए और कर्मचारियों पर बरस पड़े। उन्होंने कर्मचारियों को खरी-खोटी सुनाते हुए उनके हाथों से मीटर छीन लिए और उन्हें हाईवे पर पटककर तोड़ना शुरू कर दिया। विधायक के तेवर देखकर स्मार्ट मीटर लगाने वाली टीम बिल्कुल चुप हो गई और वहां से लौटने में ही भलाई समझी।
भरी सड़क पर मीटरों के टुकड़े-टुकड़े
विधायक तिलक राज बेहड़ का गुस्सा इतनी आसानी से शांत नहीं हुआ। हाईवे पर पटकने के बावजूद, उन्होंने ईंट उठाकर टूटे पड़े मीटरों को और भी जोर से तोड़ना शुरू कर दिया। इससे पहले भी विधायक ने किच्छा में स्मार्ट मीटर लगाने के खिलाफ प्रदर्शन कर पैदल मार्च निकाला था।
ऊर्जा निगम द्वारा मीटर लगाने का कार्य शुरू होने पर बेहड़ का विरोध और तेज हो गया। मौके पर उपस्थित कर्मचारियों ने विरोध को देखकर चुप्पी साध ली और किसी भी तरह की बहस में नहीं पड़े।
750 स्मार्ट मीटर पहले ही लगाए जा चुके हैं, लेकिन पहली बार इतना बड़ा विरोध
ऊर्जा निगम अब तक किच्छा में 750 से अधिक स्मार्ट मीटर लगा चुका है, लेकिन इस तरह का विरोध कहीं और देखने को नहीं मिला था। शंकर फार्म क्षेत्र में हुए इस विरोध ने ऊर्जा निगम के लिए नई चुनौती खड़ी कर दी है।
ऊर्जा निगम के अधिकारी जवाब देने से बचते नजर आए
विधायक बेहड़ के गुस्से के बाद ऊर्जा निगम के अधिकारी पूरी तरह बचाव की मुद्रा में दिखे। डीजीएम शेखर चंद्र त्रिपाठी सहित अन्य अधिकारियों ने मीडियाकर्मियों के फोन तक नहीं उठाए।
इस घटना के बाद क्षेत्र में स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। अब देखना यह होगा कि ऊर्जा निगम इस विरोध को कैसे संभालता है और क्या कोई वैकल्पिक कदम उठाए जाते हैं।
यह भी पढें- उत्तराखंड में जमीन की रजिस्ट्री होगी पूरी तरह पेपरलेस, फर्जीवाड़े पर लगेगा अंकुश