उत्तराखंड सरकार निकाय चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण लागू करने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही है। कैबिनेट की आगामी बैठक में इस संबंध में एक प्रस्ताव रखा जाएगा, जिसके तहत जल्द ही अध्यादेश लाने की योजना है। इससे नगर निकाय चुनावों में मेयर, पालिका चेयरमैन और नगर पंचायत अध्यक्ष के पदों पर आरक्षण की नई व्यवस्था लागू हो सकेगी।हाल ही में एकल सदस्यीय समर्पित आयोग के अध्यक्ष, सेवानिवृत्त न्यायाधीश बीएस वर्मा ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को अपनी अनुपूरक रिपोर्ट सौंप दी है। इस रिपोर्ट के अनुसार, अब निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण की प्रक्रिया आरंभ की जाएगी। रिपोर्ट में नौ की जगह 11 नगर निगमों में आरक्षण की नई संरचना तय की गई है। इसमें मेयर पदों की आरक्षण व्यवस्था में भी बदलाव हुआ है, जहां पहले सामान्य वर्ग के छह पद थे, अब वह बढ़कर आठ हो गए हैं। अनुसूचित जाति के लिए एक पद और ओबीसी के लिए दो पद आरक्षित किए गए हैं।
नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों में भी हुए बदलाव
पदों की संख्या 41 से बढ़ाकर 45 कर दी गई है। इसमें अनुसूचित जाति के लिए छह पद, अनुसूचित जनजाति के लिए एक पद, और सामान्य वर्ग के लिए पदों की संख्या 22 से बढ़ाकर 25 की गई है। ओबीसी वर्ग के लिए 12 के स्थान पर अब 13 पद आरक्षित होंगे। नगर पंचायतों में अब कुल 46 पद होंगे, जिनमें अनुसूचित जाति के लिए छह, अनुसूचित जनजाति के लिए एक, सामान्य वर्ग के लिए 24 और ओबीसी वर्ग के लिए 15 पद निर्धारित किए गए हैं। ###
2011 की जनगणना के आधार पर बदल गया ओबीसी का आंकड़ा
2011 की जनगणना के आधार पर हुए ओबीसी सर्वेक्षण में भी बदलाव दर्ज किया गया है। नगर पालिकाओं में ओबीसी की आबादी पहले 28.10% थी, जो अब बढ़कर 28.78% हो गई है। वहीं, नगर पंचायतों में यह आंकड़ा पहले 38.97% था, जो घटकर 38.83% रह गया। नगर निगमों में ओबीसी की आबादी में भी कमी आई है, जहां पहले यह 18.05% थी, अब यह 17.52% हो गई है। सरकार की यह पहल निकाय चुनावों से पहले ओबीसी वर्ग को आरक्षण देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगी, जिससे प्रदेश में सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में प्रगति होगी।
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