उत्तराखंड के चंपावत जिले में सरकारी अस्पताल की लापरवाही का एक नया मामला सामने आया है। पहाड़ी से गिरकर गंभीर रूप से घायल हुई महिला विमला देवी को उचित उपचार नहीं मिला, जिससे उनके परिवार को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
घटना का विवरण
1 अगस्त की सुबह, 48 वर्षीय विमला देवी, चंपावत जिले के पल्सौ गांव में चारापत्ती लेने जंगल गई थीं। इस दौरान वह पहाड़ी से 200 मीटर नीचे गिर गईं, जिससे उन्हें हाथ, मुंह, कमर, गर्दन और सिर में गंभीर चोटें आईं। ग्रामीणों की मदद से उन्हें तत्काल जिला अस्पताल ले जाया गया।
अस्पताल की लापरवाही
विमला देवी के बेटे त्रिभुवन के अनुसार, उनकी माता के गले में छेद हो गया था। जिला अस्पताल में मशीन खराब होने की बात कहकर एक्स-रे किए बिना गले के घाव पर टांके लगा दिए गए। 24 घंटे बाद, 2 अगस्त को विमला देवी को बरेली के वेदांता अस्पताल रेफर किया गया। वहां एक्स-रे करने पर पता चला कि गले के घाव में चूड़ी का टुकड़ा और कांटा फंसा हुआ था, जिसे ऑपरेशन के जरिए बाहर निकाला गया।
त्रिभुवन की नाराजगी
त्रिभुवन अपनी माता के उपचार में हो रही लापरवाही से बेहद गुस्सा हैं। उन्होंने बताया कि अब तक 45 हजार रुपये खर्च हो चुके हैं और अभी भी हाथ के ऑपरेशन और कमर दर्द के इलाज के लिए श्री राममूर्ति अस्पताल ले जा रहे हैं। त्रिभुवन ने फेसबुक पोस्ट के जरिए अपनी व्यथा साझा की है, जिसे 77 लोगों ने शेयर किया है। इस पोस्ट में लोगों ने अस्पताल की बदहाल व्यवस्था पर तंज कसा है और जनप्रतिनिधियों को जिम्मेदार ठहराया है।
सरकार की प्रतिक्रिया
मामला इंटरनेट मीडिया पर वायरल होने के बाद, सीएमओ देवेश चौहान ने जिला अस्पताल के सीएमएस डा. पीएस खोलिया को जांच के आदेश दिए हैं। सीएमएस को दो दिन में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है, जिसके आधार पर लापरवाही बरतने वालों पर कार्रवाई की जाएगीइस घटना ने एक बार फिर उत्तराखंड के सरकारी अस्पतालों की बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोल दी है।
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मुख्यमंत्री के कैंप कार्यालय से त्रिभुवन को हर संभव मदद का आश्वासन मिला है, लेकिन यह घटना बताती है कि स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की कितनी आवश्यकता है।