राष्ट्रीय स्वच्छ वायु प्रोग्राम नाकाफी
ग्रीष्म और शीत ऋतु के चरम पर देहरादून में वायु प्रदूषण का स्तर बेहद बढ़ जाता है। केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्वच्छ वायु प्रोग्राम के तहत कुछ प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन ये अब तक पर्याप्त साबित नहीं हो पाए हैं। दून में वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण वाहनों का धुआं और खुले में उड़ती धूल-मिट्टी है।
हरियाली खोता दून, बढ़ता प्रदूषण
कभी हरियाली के लिए प्रसिद्ध देहरादून अब बढ़ते शहरीकरण और अंधाधुंध निर्माण के कारण अपनी मूल पहचान खोता जा रहा है। बढ़ती आबादी, वाहनों की बढ़ती संख्या, और उद्योगों के विस्तार ने प्रदूषण की समस्या को और गंभीर बना दिया है। इन कारणों से वायु में प्रदूषक कण लंबे समय तक बने रहते हैं।
पीएम-2.5 और पीएम-10 के स्वास्थ्य पर प्रभाव
वायु में मौजूद पीएम-10 और पीएम-2.5 जैसे सूक्ष्म कण अलग-अलग स्रोतों से आते हैं और स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालते हैं। पीएम-2.5, जो गैसोलीन, डीजल और लकड़ी के दहन से उत्पन्न होते हैं, फेफड़ों में गहराई तक जाकर गंभीर बीमारियां पैदा कर सकते हैं। वहीं, पीएम-10 मुख्यतः निर्माण स्थलों, कृषि, जंगल की आग और सड़क की धूल से उत्पन्न होते हैं।
प्रमुख प्रदूषक तत्व और उनका असर
सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, और अन्य कार्बनिक यौगिक वायु प्रदूषण के प्रमुख कारक हैं। पीएम-10 और पीएम-2.5 जैसे सूक्ष्म कण फेफड़ों तक पहुंचकर श्वसन तंत्र को प्रभावित करते हैं। लंबे समय तक इनके संपर्क में रहने से हृदय रोग, ब्रोंकाइटिस, अस्थमा और सीओपीडी जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चेतावनी
दून अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अनुराग अग्रवाल ने बताया कि वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने से शिशु, बच्चे और हृदय व फेफड़ों की बीमारियों से पीड़ित लोग अधिक प्रभावित होते हैं। इससे श्वसन तंत्र संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं और दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
हरियाली बढ़ाने के वादे, लेकिन कार्य नदारद
भाजपा और कांग्रेस दोनों ने अपने-अपने चुनावी घोषणापत्र में दून को हराभरा बनाने का वादा किया है। भाजपा के महापौर प्रत्याशी सौरभ थपलियाल ने हर वार्ड को ग्रीन वार्ड बनाने और पार्कों के विकास की बात कही है। वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी विरेंद्र पोखरियाल ने हर साल ढाई लाख पौधे लगाने की योजना का वादा किया है।
दून की हवा को साफ करने की आवश्यकता
दून की हवा को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति और ठोस योजनाओं की जरूरत है। बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए हरियाली बढ़ाने, वाहनों के धुएं पर रोक लगाने और स्वच्छ ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ावा देने जैसे कदम उठाने होंगे।
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