देहरादून:उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव की आचार संहिता और मानसून के कारण वित्तीय वर्ष 2024-25 में पूंजीगत मद का बजट खर्च धीमी गति से हुआ है। अक्टूबर के मध्य तक, पूरे वर्ष के पूंजीगत मद के बजट में से केवल 3140 करोड़ रुपये का ही उपयोग हो पाया है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले काफी कम है। अब सरकार पर वित्तीय वर्ष की दूसरी छमाही में 11 हजार करोड़ से अधिक खर्च करने का दबाव है।
आचार संहिता और वर्षाकाल ने धीमी की विकास कार्यों की रफ्तार
वित्तीय वर्ष 2024-25 में पूंजीगत मद में 14,857 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया था, जिसमें से 4479 करोड़ रुपये विभागों को आवंटित किए जा चुके हैं। लेकिन अप्रैल से जून तक आचार संहिता के कारण कई विभाग अपने विकास कार्यों में तेजी नहीं ला सके। आचार संहिता समाप्त होते ही मानसून के कारण निर्माण कार्यों पर भी असर पड़ा, जिससे पहले छह महीनों में कुल खर्च 3150 करोड़ रुपये तक ही सीमित रह गया।
पिछले वर्ष के मुकाबले इस बार का खर्च कम, हालांकि पहले के वर्षों से बेहतर
भले ही इस वर्ष का खर्च पिछले वर्ष की तुलना में कम रहा हो, लेकिन पहले के वर्षों की तुलना में अब भी बेहतर है। वर्ष 2023-24 में पहली छमाही में 4800 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे, जो कि राज्य बनने के बाद सबसे अधिक था। इस वर्ष उस रिकॉर्ड को पार करना तो दूर, 3140 करोड़ रुपये का खर्च ही हो पाया। फिर भी, साल 2019-20 में पूंजीगत मद में केवल 1695 करोड़, 2020-21 में 1082 करोड़, और 2021-22 में 2805 करोड़ रुपये खर्च हुए थे।
प्रमुख विभागों में बजट खर्च की धीमी रफ्तार
विभिन्न विभागों के आंकड़े बताते हैं कि ग्राम्य विकास, सिंचाई और लोक निर्माण विभागों ने आवंटित बजट का अपेक्षाकृत कम हिस्सा खर्च किया है। ग्राम्य विकास विभाग को कुल 1632 करोड़ में से 613 करोड़ आवंटित हुए, जिनमें से 565 करोड़ खर्च हो पाए हैं। इसी तरह सिंचाई विभाग को 1380 करोड़ में से 547 करोड़ मिले, जिसमें से केवल 484 करोड़ ही खर्च हुए। लोक निर्माण विभाग ने 1440 करोड़ के बजट में से 598 करोड़ का ही उपयोग किया है।
शहरी विकास, आवास और शिक्षा में धीमी गति से खर्च
पूंजीगत मद का उपयोग करने में शहरी विकास, आवास और विद्यालयी शिक्षा विभाग सबसे पीछे रहे। शहरी विकास के लिए 774 करोड़ का प्रावधान होने के बावजूद, विभाग केवल 171 करोड़ रुपये ही खर्च कर पाया। आवास विभाग का कुल बजट 461 करोड़ है, जिसमें से 128 करोड़ ही खर्च हो सके। विद्यालयी शिक्षा विभाग ने भी अपने आवंटित 123 करोड़ में से 109 करोड़ ही खर्च किए हैं।
दूसरी छमाही में खर्च में तेजी लाने के निर्देशवित्त
अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने सभी विभागों को वित्तीय वर्ष की दूसरी छमाही में बजट खर्च में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं।
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