धामी सरकार ने प्रदेश में गरीबों को सस्ता आवास उपलब्ध कराने के लिए नई आवास नीति लागू की है। इस नीति के तहत ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) के लिए बड़ी हाउसिंग परियोजनाओं को 5 किलोमीटर की परिधि में आवास बनाने की अनुमति दी गई है।
इसके अलावा, नौ लाख रुपये की लागत वाले घरों के लिए आधी राशि केंद्र व राज्य सरकार देगी, जबकि बाकी का भुगतान लाभार्थी को स्वयं करना होगा। घर खरीदने वालों को बैंक से लोन लेने की प्रक्रिया आसान बनाई गई है, साथ ही स्टांप शुल्क में भारी छूट भी दी गई है।
मैदानी क्षेत्रों में सस्ते आवास पर छूट
ईडब्ल्यूएस वर्ग के लिए मैदानी क्षेत्रों में 9 लाख रुपये तक के आवास की सीमा तय की गई है। इसमें:
- लाभार्थी को केवल 5.5 लाख रुपये देने होंगे।
- राज्य सरकार 2 लाख रुपये अनुदान देगी।
- केंद्र सरकार 1.5 लाख रुपये अनुदान देगी।
- आवास बनाने वाले को प्रति वर्ग मीटर 30,000 रुपये या कुल 9 लाख रुपये दिए जाएंगे।
पर्वतीय क्षेत्रों में बाखली शैली को बढ़ावा
पर्वतीय क्षेत्रों में पारंपरिक बाखली शैली में आवास बनाने पर अधिक छूट मिलेगी।
- 9 लाख रुपये के घर पर लाभार्थी को सिर्फ 4.5 लाख रुपये देने होंगे।
- राज्य सरकार 3 लाख रुपये का अनुदान देगी।
- केंद्र सरकार 1.5 लाख रुपये का अनुदान देगी।
- इस तरह, सरकार आधी लागत वहन करेगी।
स्टांप शुल्क में भारी राहत
नई नीति के तहत स्टांप शुल्क में बड़ी छूट दी गई है:
- ईडब्ल्यूएस के लिए स्टांप शुल्क केवल 1000 रुपये होगा।
- एलआईजी (निम्न आय वर्ग) के लिए 5000 रुपये।
- एलएमआईजी (निम्न मध्य आय वर्ग) के लिए 10,000 रुपये।
- पहले 10 लाख के घर पर 80,000 रुपये तक स्टांप शुल्क व पंजीकरण शुल्क लगता था, लेकिन अब यह घटकर सिर्फ 1500 रुपये रह गया है।
- बैंक लोन के अनुबंध पर लगने वाला 0.5% स्टांप शुल्क भी हटाया गया है, जिससे 5000 रुपये की अतिरिक्त बचत होगी।
ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए अन्य लाभ
- 10,000 वर्ग मीटर तक का भू-उपयोग परिवर्तन प्राधिकरण स्तर से तीन माह में पूरा होगा।
- ईडब्ल्यूएस का नक्शा पास कराने का कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।
- बिल्डरों को भूमि खरीदने पर स्टांप शुल्क में छूट मिलेगी।
- सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने पर सरकार इसकी प्रतिपूर्ति करेगी।
- कॉमर्शियल फ्लोर एरिया रेशियो (FAR) मैदानी क्षेत्रों में 25% और पहाड़ी क्षेत्रों में 30% रहेगा।
- राज्य कर और बैंक लोन के ब्याज की प्रतिपूर्ति सरकार करेगी।
मैदानी क्षेत्रों में अब ऊंची इमारतें भी बन सकेंगी
पहले ईडब्ल्यूएस श्रेणी में केवल चार मंजिला इमारतें ही बनाई जाती थीं, जिनमें लिफ्ट की सुविधा नहीं होती थी। लेकिन नई नीति के तहत:
- अब 8 मंजिला या अधिकतम 30 मीटर ऊंची इमारतें बनाई जा सकेंगी।
- इन इमारतों में लिफ्ट लगाने की अनुमति होगी।
- 10 साल तक लिफ्ट का रखरखाव बिल्डर को करना होगा।
गरीबों के लिए सुनहरा अवसर
उत्तराखंड सरकार की इस नई आवास नीति से गरीबों को सस्ता और सुविधाजनक घर मिलेगा। लोन की प्रक्रिया आसान होने, स्टांप शुल्क में छूट और सरकार की वित्तीय सहायता से अब आम आदमी भी अपना घर खरीदने का सपना पूरा कर सकेगा।
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