शुक्रवार को कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने नियम-58 के तहत उत्तराखंड में स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं बेहद कमजोर हैं, अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी है और वेलनेस सेंटर बदहाल स्थिति में हैं। उन्होंने सरकार से इस स्थिति को सुधारने की मांग की। इस विषय पर विधायक मदन सिंह बिष्ट और लखपत बुटोला ने भी सरकार को घेरा और पहाड़ों से बढ़ते पलायन के लिए कमजोर स्वास्थ्य सुविधाओं को जिम्मेदार ठहराया।

स्वास्थ्य मंत्री का जवाब: सुधार की दिशा में कई कदम

विधायकों के सवालों के जवाब में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि सरकार प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करने के लिए लगातार प्रयासरत है। उन्होंने बताया कि अगले 60 दिनों के भीतर 1500 वार्ड बॉयज की भर्ती की जाएगी। विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी को दूर करने के लिए एक विस्तृत योजना बनाई गई है, जिसके तहत अगले तीन वर्षों में यह समस्या हल हो जाएगी। सरकार ने एमबीबीएस के 275 बैकलॉग पदों को भरने के लिए जल्द ही विज्ञापन जारी करने की घोषणा की है।

इसके अलावा, खानपुर, डोईवाला, रायपुर और सितारगंज समेत कई स्थानों पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) को उच्चीकृत कर उप-चिकित्सालय बनाए जा रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने भरोसा दिलाया कि प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में अध्ययनरत छात्रों के लौटने से विशेषज्ञ डॉक्टरों की संख्या में वृद्धि होगी।

निशुल्क स्वास्थ्य सेवाएं और योजनाएं

स्वास्थ्य मंत्री ने सदन को बताया कि सरकार की मंशा है कि पहाड़ी क्षेत्रों के निवासियों को वहीं पर सभी जरूरी इलाज उपलब्ध कराए जाएं। 272 फ्री जांच योजना के तहत एक वर्ष में 26,77,811 लोगों की निशुल्क जांच की गई। पर्वतीय क्षेत्रों में 1,51,007 संस्थागत प्रसव कराए गए। मोतियाबिंद ऑपरेशन, मरीजों के आने-जाने की व्यवस्था और चश्मा वितरण पूरी तरह से निशुल्क है। इसके अलावा, सरकार टीबी और एनीमिया के उपचार पर विशेष ध्यान दे रही है और इनका भी निशुल्क इलाज किया जा रहा है।

टीबी उन्मूलन की दिशा में ठोस प्रयास

टीबी उन्मूलन को लेकर सरकार ने 5000 से अधिक गांवों को टीबी मुक्त घोषित किया है। स्वास्थ्य मंत्री ने जानकारी दी कि 2025-26 तक पूरे राज्य को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इस दिशा में घर-घर टीबी जांच के लिए विशेष गाड़ियां रवाना की गई हैं।

मेडिकल शिक्षा और भविष्य की योजनाएं

सरकार ने पांच सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 650 सीटों की व्यवस्था की है, जिनमें से 50 प्रतिशत छात्र बांड से पढ़ाई कर रहे हैं, जिससे वे अपनी सेवाएं पहाड़ों में देंगे। वर्तमान में 204 छात्र पीजी कर रहे हैं और तीन वर्षों के भीतर विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी पूरी करने का लक्ष्य रखा गया है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि 400 से अधिक छात्र पीजी की पढ़ाई कर रहे हैं, जिनमें से 80 प्रतिशत राज्य में लौटकर सेवाएं देंगे।

हरिद्वार मेडिकल कॉलेज को लेकर स्थिति स्पष्ट

स्वास्थ्य मंत्री ने विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए स्पष्ट किया कि हरिद्वार मेडिकल कॉलेज फिलहाल पीपीपी मोड पर संचालित नहीं हो रहा है। सरकार इसे सरकारी स्तर पर ही विकसित करने की दिशा में कार्य कर रही है।

निष्कर्ष

सदन में हुई इस चर्चा में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर कई मुद्दे उठाए गए, जिनका सरकार ने विस्तार से उत्तर दिया। आने वाले वर्षों में प्रदेश में चिकित्सा सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए कई योजनाएं बनाई गई हैं, जिनके माध्यम से विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी को दूर करने और पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने पर जोर दिया गया है।

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