उत्तराखंड के 100 नगर निकायों में नए बोर्ड के गठन के बाद सरकार ने वित्तीय गड़बड़ियों पर सख्ती दिखानी शुरू कर दी है। पहले, कई नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायतों ने अपनी क्षमता से अधिक बजट पास कर दिया, लेकिन योजनाएं धरातल पर नहीं उतर पाईं। इस अनियमितता को देखते हुए शासन ने स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि निकाय अपने वार्षिक बजट के अनुरूप ही प्रस्ताव पास करें।
बजट प्रबंधन पर कड़े निर्देश
शहरी विकास विभाग ने सभी निकायों को निर्देशित किया है कि वे अपने कुल राजस्व, वेतन, पेंशन और अन्य अनिवार्य खर्चों को ध्यान में रखते हुए ही योजनाएं तैयार करें। निकायों को अपनी वित्तीय स्थिति के अनुरूप बजट पारित करना होगा, ताकि अधूरी योजनाओं और वित्तीय असंतुलन की समस्या न पैदा हो।
बिना स्वीकृति के पेयजल और सीवर परियोजनाओं पर रोक
शहरी क्षेत्रों में जिला जल एवं स्वच्छता मिशन (DWMS) समिति की अनुमति के बिना कोई भी पेयजल और सीवर लाइन परियोजना आगे नहीं बढ़ सकेगी। पहले की गई कई घोषणाएं बजट से बाहर जाने के कारण अधूरी रह गई थीं, इसलिए शासन ने अब यह सुनिश्चित किया है कि कोई भी योजना तभी पारित होगी जब उसके लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन उपलब्ध हों।
अतिरिक्त बजट की संभावना खत्म
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि किसी योजना के लिए निर्धारित बजट से अधिक धनराशि की आवश्यकता होगी, तो न तो उसे स्वीकृति मिलेगी और न ही शासन स्तर पर कोई अतिरिक्त सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।
इस निर्णय का उद्देश्य नगर निकायों में वित्तीय अनुशासन को मजबूत करना और यह सुनिश्चित करना है कि सभी विकास कार्य व्यावहारिक और आर्थिक रूप से टिकाऊ हों।
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