देहरादून: उत्तराखंड में सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य श्यामलाल गुरुजी की निर्मम हत्या के मामले में पुलिस ने 24 दिनों की कड़ी मशक्कत के बाद आरोपी दंपती को पंजाब के अमृतसर से गिरफ्तार कर लिया है। इस अपराध के पीछे ब्लैकमेलिंग और पैसों की लालच का एक गहरा षड्यंत्र सामने आया है। आरोपियों ने पहले श्यामलाल की अश्लील वीडियो बनाकर उन्हें ब्लैकमेल करने की योजना बनाई थी, लेकिन जब श्यामलाल को इस साजिश का पता चला, तो उन्होंने विरोध किया, जिसके बाद उनकी हत्या कर दी गई।
ब्लैकमेलिंग के लिए रची गई खौफनाक साजिश
हत्या की इस साजिश के पीछे गीता और उसके पति हिमांशु चौधरी का नाम सामने आया है। पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि हिमांशु, जो एक मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस का छात्र है, बार-बार ड्रॉप आउट होने के कारण आर्थिक तंगी से जूझ रहा था। इसी समस्या से निजात पाने के लिए उसकी पत्नी गीता ने सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य श्यामलाल को अपने जाल में फंसाया।
गीता और हिमांशु ने एक किराए का कमरा लिया और उसमें गुप्त कैमरे लगा दिए। योजना के तहत गीता ने श्यामलाल को वहां बुलाया ताकि उनकी आपत्तिजनक वीडियो बनाई जा सके और बाद में उन्हें ब्लैकमेल कर मोटी रकम ऐंठी जा सके। लेकिन श्यामलाल ने कमरे में लगे कैमरों को देख लिया और इसका विरोध किया, जिससे साजिश विफल हो गई।
श्यामलाल की हत्या और शव के साथ क्रूरता
जब श्यामलाल ने ब्लैकमेलिंग का विरोध किया, तो गीता और हिमांशु ने मिलकर उनकी गला दबाकर हत्या कर दी। हत्या के बाद शव को मौके पर ही छोड़ दिया गया। हिमांशु, जो मेडिकल का छात्र था, जानता था कि यदि शव को कुछ घंटे के लिए ठंडे स्थान पर रखा जाए, तो खून जम जाएगा और कटते समय खून नहीं निकलेगा।
अगले दिन यानी 3 फरवरी को गीता और हिमांशु दोबारा कमरे में पहुंचे और शव के चार टुकड़े किए। इन टुकड़ों को प्लास्टिक के कट्टों में भरकर कार में रखा गया और 4 फरवरी को गीता के भाई अजय कुमार और बहनोई धनराज चावला ने इन कट्टों को सहारनपुर की साखन नदी में फेंक दिया।
गुमशुदगी दर्ज होने के बाद खुला राज
श्यामलाल की बेटी निधि राठौर ने 7 फरवरी को पटेलनगर थाने में अपने पिता की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि उनके पिता 2 फरवरी को बाइक लेकर घर से निकले थे, लेकिन वापस नहीं लौटे और उनका मोबाइल भी बंद था।
पुलिस ने जांच के दौरान सीसीटीवी फुटेज खंगाले तो पता चला कि श्यामलाल आखिरी बार किशननगर एक्सटेंशन में गीता के घर जाते हुए देखे गए थे, लेकिन उनकी वापसी का कोई सुराग नहीं मिला। जब पुलिस गीता के घर पहुंची, तो वह और हिमांशु फरार थे। इसके बाद पुलिस ने उनके मोबाइल सर्विलांस पर लगाए और गीता के मायके देवबंद (सहारनपुर) में छापा मारा, जहां से उसके भाई अजय को हिरासत में लिया गया।
गिरफ्तारी और साजिश का खुलासा
अजय ने पूछताछ में कबूल किया कि उसकी बहन गीता और हिमांशु ने 2 फरवरी को ही श्यामलाल की हत्या कर दी थी। शव ठिकाने लगाने के लिए गीता ने अपने भाई अजय और बहनोई धनराज को 4 फरवरी को बुलाया था, जिन्होंने शव के टुकड़ों को नदी में फेंक दिया था।
पुलिस ने 19 फरवरी को अजय और धनराज को गिरफ्तार कर लिया और 20 फरवरी को उनकी निशानदेही पर शव के टुकड़े बरामद किए। इसके बाद पुलिस गीता और हिमांशु की तलाश में जुट गई। दोनों गिरफ्तारी से बचने के लिए लगातार शहर बदलते रहे—दिल्ली, मुंबई, जयपुर, प्रयागराज और कुरुक्षेत्र होते हुए आखिरकार अमृतसर पहुंचे।
24 दिन बाद अमृतसर में गिरफ्तार हुआ दंपती
पुलिस ने 50 हजार रुपये का इनाम घोषित कर दिया था और आखिरकार 24 दिनों की तलाश के बाद 27 फरवरी की रात को गीता और हिमांशु को अमृतसर से गिरफ्तार कर लिया गया।
शव ठिकाने लगाने के बाद बेटी को छोड़ गई थी गीता
हत्या के बाद गीता अपनी तीन साल की बेटी को अपनी मां के पास छोड़कर हिमांशु के साथ फरार हो गई थी। दोनों पहले रुड़की गए और फिर दिल्ली भाग गए, जहां से अलग-अलग शहरों में छिपते रहे।
अपराधियों पर कसा शिकंजा
एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि इस हत्याकांड में शामिल सभी आरोपी अब पुलिस की गिरफ्त में हैं। मुख्य आरोपी गीता और हिमांशु को अमृतसर से पकड़ा गया, जबकि शव ठिकाने लगाने में मदद करने वाले अजय और धनराज पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं।