पौड़ी गढ़वाल: जीवन अप्रत्याशित घटनाओं से भरा होता है, और कभी-कभी यह ऐसी घटनाएं सामने लाता है, जो चमत्कार जैसी लगती हैं। पौड़ी गढ़वाल के अयाल गांव के नेगी परिवार के साथ ऐसा ही एक अद्भुत वाकया हुआ। परिवार के जिस सदस्य को 24 साल पहले मृत मान लिया गया था और जिसका श्राद्ध पिछले दो दशकों से किया जा रहा था, वह जीवित मिला। 30 वर्ष की उम्र में घर से लापता हुआ प्रमोद सिंह नेगी, भारत-नेपाल सीमा पर स्थित बलुवाकोट क्षेत्र में सकुशल पाया गया।
चार दिसंबर 2000 को अचानक हुआ था लापता
प्रमोद सिंह नेगी, जो विवाहित थे और जिनके दो पुत्र थे (जिनमें से एक का निधन हो चुका है), 4 दिसंबर 2000 को अपने घर से अचानक लापता हो गए। उनके परिवार ने उन्हें ढूंढने के लिए हर संभव प्रयास किया। दिल्ली, पंजाब, महाराष्ट्र और गढ़वाल मंडल के सभी जिलों में उनकी खोजबीन की गई, लेकिन कुमाऊं मंडल में उनकी उपस्थिति का अंदाजा किसी को नहीं हुआ।
बलुवाकोट में बिता दी 24 साल की जिंदगी
लापता होने के बाद प्रमोद टनकपुर होते हुए नेपाल पहुंच गए और फिर भारत लौटकर धारचूला क्षेत्र में रहने लगे। बीते डेढ़ दशक से वह बलुवाकोट से धारचूला के बीच के इलाके में जीवन बिता रहे थे। कभी होटल में काम करते, तो कभी लोगों की दया पर निर्भर रहते। रातें मंदिरों या दुकानों के बाहर गुजारते। उनके हाथ पर “प्रमोद सिंह नेगी” नाम गुदा हुआ था, लेकिन किसी ने उनके बारे में ज्यादा जानने की कोशिश नहीं की।
जीवन सिंह ठाकुर ने किया परिवार से मिलाने का प्रयास
तीन दिन पहले क्षेत्र के समाजसेवी जीवन सिंह ठाकुर ने उन्हें देखा। प्रमोद की तबीयत खराब थी, तो ठाकुर उन्हें पास की फार्मेसी ले गए और दवा दिलवाई। उन्होंने प्रमोद से बातचीत शुरू की, जिसमें “अयाल” गांव का नाम सामने आया। इस पर ठाकुर ने इंटरनेट की मदद से अयाल गांव की जानकारी निकाली और प्रमोद का फोटो सोशल मीडिया के जरिए वहां के लोगों तक पहुंचाया।
जीजा ने पहचाना, परिवार पहुंचा मिलने
फोटो देखकर प्रमोद के जीजा ने उन्हें पहचान लिया और तुरंत संपर्क किया। सोमवार को प्रमोद के जीजा, भतीजे और बेटा बलुवाकोट पहुंचे। प्रमोद ने अपने जीजा को प्रणाम किया, लेकिन अन्य लोगों को पहचान नहीं सके। उन्हें नहलाने-धुलाने के बाद परिवार देहरादून लेकर गया, जहां फिलहाल उनका इलाज चल रहा है।
समाजसेवा का बड़ा उदाहरण
प्रमोद को उनके परिवार से मिलाने वाले जीवन सिंह ठाकुर की क्षेत्र में जमकर सराहना हो रही है। ठाकुर ने कहा कि वह जल्द ही अयाल गांव जाकर प्रमोद का हालचाल लेंगे।
परिवार के लिए चमत्कार से कम नहीं
प्रमोद के परिवार के लिए यह घटना किसी चमत्कार से कम नहीं। 24 साल बाद अपने गुमशुदा सदस्य से मिलन ने सभी की आंखें नम कर दीं। यह घटना जीवन की अप्रत्याशितता और उम्मीद की ताकत का सबसे बड़ा उदाहरण है।
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