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खबर उत्तरकाशी जिले से जहाँ खरसाली से यमुनोत्री रोपवे की राह में वन भूमि की अड़चन दूर हो गई है। जी हाँ,रोपवे के लिए वन मंत्रालय ने 3.838 हेक्टेयर भूमि हस्तांतरण करने के आदेश जारी किए हैं। जल्द ही पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी मोड) पर रोपवे का निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा।

आपको बता दें की यमुनोत्री धाम जाने वाले श्रद्धालुओं की यात्रा को सुगम और सुविधाजनक बनाने के लिए खरसाली से यमुनोत्री मंदिर तक रोपवे प्रस्तावित है। इस रोपवे की कुल दूरी 3.5 किलोमीटर होगी। वर्ष 2011 में तत्कालीन मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने खरसाली गांव यमुनोत्री रोपवे का शिलान्यास किया था, लेकिन वन भूमि की मंजूरी न मिलने के कारण रोपवे निर्माण आगे नहीं बढ़ पाया है।


वहीं रोपवे के लिए खरसाली गांव में स्थानीय लोगों की जमीन का अधिग्रहण किया गया था। 2021 में पर्यटन विभाग ने रोपवे निर्माण के लिए एक फर्म के साथ एमओयू करने की कवायद शुरू की थी, लेकिन यात्रियों की कम संख्या का हवाला देकर फर्म रोपवे का निर्माण करने के लिए तैयार नहीं हुई थी। कई सालों चल रही कवायद के बाद वन भूमि हस्तांतरण की मंजूरी मिलने से रोपवे की राह खुल गई है।


खरसाली-यमुनोत्री रोपवे के लिए वन भूमि हस्तांतरण के आदेश हो गए हैं। जल्द ही अन्य औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए रोपवे का निर्माण शुरू किया जाएगा। रोपवे बनने के बाद श्रद्धालु आसानी से यमुनोत्री धाम पहुंच सकेंगे। – सचिन कुर्वे, सचिव पर्यटन

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बता दें की खरसाली से यमुनोत्री मंदिर के लिए रोपवे की कुल लंबाई 3.5 किमी होगी। रोपवे से श्रद्धालु मात्र नौ मिनट में यमुनोत्री मंदिर पहुंचेंगे। अभी तक पैदल मार्ग से यात्रा करने में चार से पांच घंटे का समय लगता है। जिसमें बुजुर्ग लोगों को यात्रा करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

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