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उत्तराखंड सरकार ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ा दिया है। विशेषज्ञ समिति ने यूसीसी के अंतिम मसौदे को तैयार कर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को 18 अक्टूबर 2024 को सौंप दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह संहिता राज्य में सभी नागरिकों को समान न्याय और अवसर सुनिश्चित करने की दिशा में एक अहम पहल होगी। यूसीसी को आगामी 9 नवंबर, उत्तराखंड स्थापना दिवस के अवसर पर लागू करने की योजना है।

यूसीसी का सफर: घोषणा से क्रियान्वयन तक

– फरवरी 2022 : चुनाव प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री धामी ने यूसीसी लागू करने का वादा किया।

– मई 2022 : सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति का गठन।

– फरवरी 2024 : समिति ने प्रारंभिक रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी और विधेयक विधानसभा में पेश हुआ।

– मार्च 2024 : राष्ट्रपति द्वारा विधेयक को मंजूरी मिली। – 18 अक्टूबर 2024 : नियमावली और क्रियान्वयन की अंतिम रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी गई।

यूसीसी के मुख्य बिंदु

नियमावली चार प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्रित है:

1. विवाह और तलाक

2. लिव-इन रिलेशनशिप

3. जन्म और मृत्यु पंजीकरण

4. उत्तराधिकार नियमों का प्रावधान

प्रमुख प्रावधान

– विवाह और तलाक :

– विवाह के लिए लड़के की न्यूनतम आयु 21 वर्ष और लड़की की 18 वर्ष होगी।

– विवाह और तलाक का पंजीकरण सभी के लिए अनिवार्य होगा।

– पंजीकरण न कराने पर ₹25,000 तक का जुर्माना और सरकारी सुविधाओं से वंचित किया जा सकता है।

– महिलाएं भी पुरुषों के समान अधिकारों और आधारों पर तलाक ले सकेंगी।

– उत्तराधिकार और संपत्ति :

– बेटा और बेटी दोनों को समान संपत्ति का अधिकार होगा।

– अवैध और वैध बच्चों में कोई भेदभाव नहीं होगा, सभी जैविक संतान माने जाएंगे।

– सरोगेसी या गोद लिए बच्चे भी जैविक संतान के समान अधिकारों के पात्र होंगे।

– किसी महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे को भी संपत्ति में अधिकार मिलेगा।

– कोई भी व्यक्ति किसी को भी अपनी संपत्ति वसीयत के माध्यम से दे सकेगा।

– लिव-इन रिलेशनशिप :

– लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले युगलों को पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।

– बिना पंजीकरण के रहने पर छह माह की कैद या ₹25,000 का जुर्माना अथवा दोनों हो सकते हैं।

– लिव-इन में जन्मे बच्चों को वैध संतान के समान सभी अधिकार मिलेंगे।

– सामाजिक प्रथाओं में बदलाव :

– हलाला और इद्दत जैसी प्रथाएं समाप्त होंगी।

– धर्म परिवर्तन की स्थिति में प्रभावित व्यक्ति को तलाक और गुजारा भत्ता लेने का अधिकार होगा।

– एक पति या पत्नी के जीवित रहते दूसरा विवाह पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा।

– बच्चों की कस्टडी :

– तलाक या घरेलू विवाद के दौरान पांच साल तक के बच्चे की कस्टडी मां के पास रहेगी।

ऑनलाइन पंजीकरण और सुविधाएं

यूसीसी के क्रियान्वयन के लिए एक विशेष पोर्टल और मोबाइल एप्लिकेशन विकसित की गई है, जिससे नागरिक पंजीकरण और अपील जैसे कार्य ऑनलाइन कर सकेंगे। ग्राम पंचायत से लेकर महानगर पालिका तक सभी स्तरों पर पंजीकरण की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।

9 नवंबर को यूसीसी लागू होने की संभावना

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पहले ही संकेत दिया था कि सरकार 9 नवंबर को उत्तराखंड स्थापना दिवस पर यूसीसी लागू करना चाहती है। समिति द्वारा नियमावली सौंपे जाने के बाद यह संभावना प्रबल हो गई है कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन जाएगा जहां समान नागरिक संहिता लागू की जाएगी।

नए कानून से होने वाले प्रमुख बदलाव

– सभी धर्मों और समुदायों के लिए विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता, और उत्तराधिकार के समान नियम लागू होंगे।

– विवाह और तलाक का पंजीकरण अनिवार्य होने से पारदर्शिता बढ़ेगी।

– लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों को कानूनी सुरक्षा और अधिकार प्राप्त होंगे।

– धर्म परिवर्तन के मामले में बिना सहमति के विवाह रद्द करने का अधिकार मिलेगा।

उत्तराखंड में यूसीसी का यह ऐतिहासिक कदम समाज में एकरूपता और समानता स्थापित करने का प्रयास है, जिससे हर नागरिक को समान अधिकार और न्याय मिल सके।

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