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उत्तराखंड 27 जनवरी 2025 से समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने वाला भारत का पहला राज्य बनने जा रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस ऐतिहासिक दिन पर यूसीसी पोर्टल का भी शुभारंभ करेंगे। सीएम के सचिव शैलेश बगोली ने सभी विभागों को इस संबंध में पत्र जारी किया है। इसी दिन से नए कानून की अधिसूचना भी प्रभावी हो जाएगी।


यूसीसी लागू करने की तैयारी और मॉक ड्रिल

समान नागरिक संहिता लागू करने से पहले दो मॉक ड्रिल आयोजित की गईं, जिनमें तकनीकी खामियों को दूर कर पोर्टल को पूरी तरह तैयार किया गया। इन प्रयासों की सफलता के बाद राज्य सरकार ने यूसीसी को लागू करने का निर्णय लिया।


यूसीसी: घोषणा से लागू होने तक का सफर

  1. फरवरी 2022: विधानसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यूसीसी लागू करने का वादा किया।
  2. मई 2022: सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति गठित की गई।
  3. फरवरी 2024: समिति ने ड्राफ्ट रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी।
  4. फरवरी 2024: विधेयक विधानसभा में पेश कर पारित किया गया।
  5. मार्च 2024: राष्ट्रपति ने विधेयक को मंजूरी दी।
  6. जनवरी 2025: कैबिनेट ने नियमावली को अंतिम रूप देकर इसे लागू करने की मंजूरी दी।

यूसीसी लागू होने से होने वाले बड़े बदलाव

  1. एक समान कानून: सभी धर्मों और समुदायों के लिए विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता और संपत्ति का एक ही कानून।
  2. विवाह पंजीकरण अनिवार्य: 26 मार्च 2010 के बाद हर विवाह का पंजीकरण जरूरी होगा।
    • पंजीकरण न कराने पर ₹25,000 का जुर्माना।
    • सरकारी सुविधाओं से वंचित रहने का प्रावधान।
  3. तलाक के समान अधिकार: महिलाएं भी पुरुषों के समान अधिकारों के तहत तलाक ले सकेंगी।
  4. हलाला और इद्दत प्रथा समाप्त: महिलाओं पर किसी भी प्रकार की पुनर्विवाह शर्तें लागू नहीं होंगी।
  5. धर्म परिवर्तन पर सुरक्षा: बिना सहमति धर्म परिवर्तन करने पर प्रभावित व्यक्ति को तलाक और गुजारा भत्ता का अधिकार।
  6. संपत्ति में समान अधिकार: बेटा और बेटी दोनों को बराबर संपत्ति अधिकार।
  7. लिव-इन संबंधों का पंजीकरण:
    • लिव-इन जोड़ों के लिए पंजीकरण अनिवार्य।
    • बच्चों को जायज संतान का दर्जा और सभी अधिकार।
    • पंजीकरण न कराने पर छह महीने की सजा या ₹25,000 का जुर्माना।
  8. गोद लिए और सरोगेसी से जन्मे बच्चों के अधिकार: जैविक संतान के समान सभी अधिकार।
  9. महिला और बच्चे के अधिकार: तलाक के मामलों में पांच साल तक के बच्चे की कस्टडी मां को मिलेगी।

यूसीसी लागू होने के साथ आने वाले बदलाव

  • विवाह की आयु: लड़के के लिए 21 और लड़की के लिए 18 वर्ष।
  • बहुविवाह पर प्रतिबंध: पति या पत्नी के जीवित रहते दूसरा विवाह पूरी तरह प्रतिबंधित।
  • पंजीकरण की सुविधा: ग्राम पंचायत से लेकर महानगर पालिका तक पंजीकरण केंद्र उपलब्ध।
  • संपत्ति में गर्भस्थ शिशु के अधिकार: गर्भ में पल रहे बच्चे को संपत्ति में अधिकार मिलेगा।
  • वसीयत का अधिकार: कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति किसी को भी वसीयत कर सकता है।

ऐतिहासिक कदम की ओर बढ़ता उत्तराखंड

उत्तराखंड सरकार के इस निर्णय को देश में समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल माना जा रहा है। यह कदम न केवल समाज में समानता स्थापित करेगा, बल्कि नागरिकों के अधिकारों को भी संरक्षित करेगा।

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