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दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के नए प्रभारी चिकित्सा अधीक्षक (एमएस) डॉ. आरएस बिष्ट ने शनिवार को अपना कार्यभार ग्रहण किया। कार्यभार संभालने के तुरंत बाद उन्होंने पूरे अस्पताल का निरीक्षण किया और अधिकारियों, डॉक्टरों एवं कर्मचारियों के साथ बैठक आयोजित की। बैठक में उन्होंने स्पष्ट रूप से निर्देश दिए कि मरीजों के साथ अभद्र व्यवहार या इलाज में देरी किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। लापरवाही बरतने वाले डॉक्टरों और कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ओपीडी और सफाई व्यवस्था पर विशेष जोर
डॉ. बिष्ट ने डॉक्टरों को सुबह 9 बजे से दोपहर 3 बजे तक ओपीडी में उपस्थित रहने के निर्देश दिए। साथ ही, अस्पताल की तीनों इमारतों में हर दो घंटे पर सफाई सुनिश्चित करने के लिए सुपरवाइजरों को कड़े निर्देश दिए।

मरीजों और तीमारदारों के लिए मृदु व्यवहार अनिवार्य
वार्ड इंचार्जों को मरीजों के साथ सौम्य व्यवहार करने और तीमारदारों को सही जानकारी उपलब्ध कराने की हिदायत दी गई। उन्होंने कहा कि इमरजेंसी में ईएमओ (इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर) तुरंत मरीज को देखें, जबकि विशेषज्ञ डॉक्टर 30 मिनट के भीतर उपलब्ध हों। गंभीर मरीजों को एक घंटे के भीतर भर्ती करने की प्रक्रिया पूरी होनी चाहिए।

पीडियाट्रिक मरीजों और इमरजेंसी व्यवस्था में बदलाव
डॉ. बिष्ट ने निर्देश दिया कि पीडियाट्रिक मरीजों को सीधे वार्ड में भर्ती किया जाए। इसके अलावा, इमरजेंसी ड्यूटी में केवल पीजी डॉक्टरों को ही तैनात किया जाए, नॉन-पीजी डॉक्टरों को इमरजेंसी में लगाने से बचा जाए।

आयुष्मान योजना को लेकर सख्ती
आयुष्मान विंग को प्रतिदिन वार्डों का निरीक्षण करने और बिना आयुष्मान कार्ड वाले मरीजों का डेटा जुटाने का निर्देश दिया गया। जिन मरीजों के पास आयुष्मान कार्ड नहीं है, उनका कार्ड जल्द से जल्द बनवाने की प्रक्रिया शुरू करने के भी आदेश दिए गए।

डॉ. आरएस बिष्ट के इन सख्त निर्देशों से अस्पताल की व्यवस्थाओं में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है। उन्होंने सभी विभागों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि मरीजों को बेहतर और समय पर इलाज मिले।

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