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नैनीताल जिला प्रशासन ने बेटियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक महीने तक विद्यालयों में संवाद कार्यक्रमों का आयोजन किया। इन संवाद कार्यक्रमों में प्रशासनिक अधिकारियों ने छात्राओं से सीधे संवाद कर उनकी समस्याओं और चिंताओं को सुना। इन चर्चाओं में बेटियों ने नगर के असुरक्षित स्थानों की जानकारी दी, जिन पर प्रशासन ने सख्ती से कार्रवाई की।इन बैठकों और सुझावों के आधार पर, जिला प्रशासन ने पुलिस, शिक्षा विभाग और अन्य संबंधित विभागों के लिए 20 बिंदुओं की मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) जारी की है। इसका उद्देश्य बेटियों की सुरक्षा को बढ़ावा देना और असामाजिक तत्वों पर लगाम लगाना है।

20 बिंदुओं की SOP में शामिल प्रमुख प्रावधान:

पुलिस विभाग:

_स्कूलों के समय के दौरान बच्चियों को जबरन आटो में बिठाने वाले चालकों पर सख्त कार्रवाई।

– सभी ऑटो और ई-रिक्शा चालकों का सत्यापन अनिवार्य।

– बाइक दौड़ाकर या किसी भी प्रकार से छात्राओं को छेड़ने वालों के खिलाफ कठोर कदम।

– आटो स्टैंडों में अराजक तत्वों पर निगरानी और गश्त में वृद्धि।

– स्कूलों के आसपास पार्कों और सुनसान स्थानों का निरीक्षण।

– निर्माणाधीन भवनों के श्रमिकों का सत्यापन।

परिवहन विभाग

– सभी ऑटो चालकों के लिए पहचान पत्र अनिवार्य।

– ऑटो के अंदर चालक की पूरी जानकारी प्रदर्शित हो।

– ऑटो में पुलिस हेल्पलाइन और अन्य जरूरी नंबर प्रदर्शित किए जाएं।

– ऑटो में सवारियों की संख्या की सीमित व्यवस्था।

शिक्षा विभाग:

– विद्यालय परिसर में प्रमुख स्थानों पर हेल्पलाइन नंबर लगाए जाएं।

– छात्राओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण देने के लिए विशेष कार्यशालाओं का आयोजन।

– बच्चों को कानून और उनके अधिकारों की जानकारी दी जाए।

नगर निगम:

– नगरीय क्षेत्रों में अंधेरी गलियों में स्ट्रीट लाइट की उचित व्यवस्था।

उरेडा विभाग:

– ग्रामीण क्षेत्रों में भी अंधेरे रास्तों पर स्ट्रीट लाइट लगाई जाएं।

प्रोबेशन विभाग:

– स्कूलों में छात्रों को पोक्सो एक्ट और अन्य कानूनी जानकारियों से अवगत कराया जाए।इस पहल के माध्यम से नैनीताल प्रशासन बेटियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए, स्कूलों से लेकर नगर के अन्य संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम कर रहा है।

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