देहरादून: उत्तराखंड में अवैध रूप से संचालित हो रहे मदरसों पर सरकार ने शिकंजा कसने की तैयारी शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में संचालित सभी अपंजीकृत मदरसों की जांच के आदेश दिए हैं। इस कार्रवाई के तहत पुलिस इन मदरसों की गहन जांच करेगी। इसके साथ ही सभी जिलों में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जाएगी। यह समिति विभिन्न विभागों के समन्वय से जांच करेगी और एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी।
मदरसा बोर्ड में पंजीकरण अनिवार्य, 415 मदरसे पंजीकृत
प्रदेश में सभी मदरसों का मदरसा बोर्ड में पंजीकरण अनिवार्य है। वर्तमान में उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के अंतर्गत 415 मदरसे संचालित हो रहे हैं, जहां 40,000 से अधिक छात्र-छात्राएं शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। हालांकि, बड़ी संख्या में अपंजीकृत मदरसों के संचालन की शिकायतें सामने आई हैं।
बाहरी फंडिंग और अवैध गतिविधियों की आशंका
सूत्रों के अनुसार, इन अपंजीकृत मदरसों को बाहरी स्रोतों से फंडिंग प्राप्त हो रही है। इनमें दूसरे राज्यों के छात्र-छात्राएं भी पढ़ रहे हैं, और इन संस्थानों में अवैध गतिविधियों के संचालित होने की आशंका जताई जा रही है। इन शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री ने गृह विभाग और पुलिस मुख्यालय को त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
समिति की जांच और रिपोर्ट
मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार, जिलाधिकारी की अध्यक्षता में बनने वाली समिति विभिन्न विभागों के सहयोग से मदरसों की गतिविधियों की जांच करेगी। पुलिस महानिरीक्षक (कानून-व्यवस्था) नीलेश आनंद भरणे ने कहा कि प्रदेश के मदरसों में चल रही गतिविधियों को लेकर कई शिकायतें आई हैं। अब अपंजीकृत और अवैध रूप से संचालित मदरसों की विस्तृत जांच की जाएगी।
सेवा क्षेत्र में निवेश के लिए चार नए क्षेत्र विकसित होंगे
देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने राज्य में सेवा क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए चार नए क्षेत्रों को विकसित करने का निर्णय लिया है। इन क्षेत्रों में नैनीताल का पटवाडागर, देहरादून के चकराता में नगाऊ, टिहरी गढ़वाल के धनोल्टी और मागरा शामिल हैं। इन स्थानों पर लगभग 106 एकड़ भूमि चिह्नित की गई है।
पिछले वर्ष देहरादून में आयोजित वैश्विक निवेशक सम्मेलन के दौरान निवेशकों ने पहाड़ी क्षेत्रों में निवेश के लिए भूमि उपलब्ध कराने का सुझाव दिया था। इस सुझाव के आधार पर उत्तराखंड निवेश और आधारभूत संरचना विकास बोर्ड को इन स्थानों का चयन करने का निर्देश दिया गया था। अब इन क्षेत्रों को विभिन्न उद्योगों के लिए विकसित किया जाएगा।
सरकार का यह कदम निवेशकों को प्रोत्साहित करने और राज्य में रोजगार के अवसर बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है।